भारतीय अरबपति गौतम अदाणी और उनकी कंपनियों के खिलाफ जांच के बाइडन प्रशासन के फैसले को लेकर रिपब्लिकन सांसद ने न्याय विभाग को घेरा है। सांसद ने कहा है कि ऐसी कार्रवाईयों से भारत-अमेरिका संबंधों को नुकसान हो सकता है। अमेरिकी अटार्नी जनरल मेरिक बी गारलैंड को लिखे पत्र में सांसद लांस गुडेन ने कहा कि न्याय विभाग की ऐसी चुनिंदा कार्रवाईयों से अमेरिका के वैश्विक संबंध और आर्थिक विकास प्रभावित हो सकता है। सदन न्यायपालिका समिति के सदस्य और सांसद लांस गुडेन ने पत्र लिखकर अमेरिकी अटार्नी जनरल मेरिक बी गारलैंड से जवाब मांगा है। गुडेन ने अपने पत्र में पूछा कि यदि भारत प्रत्यर्पण अनुरोध का पालन करने से इनकार कर देता है तो अमेरिका क्या करेगा। उन्होंने न्याय विभाग द्वारा विदेशी इकाइयों के विरुद्ध किए गए अभियोजन के बारे में भी जवाब मांगा। उन्होंने पत्र में यह भी पूछा कि क्या इसका जॉर्ज सोरोस से कोई संबंध है? गुडेन ने कहा कि भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका के सबसे मजबूत सहयोगियों में से एक है। न्याय विभाग को कमजोर अधिकार क्षेत्र वाले मामलों को आगे बढ़ाने, विदेशों में अफवाहों का पीछा करने के बजाय घरेलू स्तर पर बुरे लोगों को दंडित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। सांसद ने कहा कि उन संस्थाओं को निशाना बनाना जो अरबों डॉलर का निवेश करती हैं और अमेरिकियों के लिए हजारों नौकरियां पैदा करती हैं, दीर्घकाल में अमेरिका को ही नुकसान पहुंचा सकता है।उन्होंने कहा कि जब हम हिंसक अपराध, आर्थिक जासूसी से जुड़े खतरों को नजरअंदाज कर देते हैं और उन लोगों के पीछे पड़ जाते हैं जो हमारे आर्थिक विकास में योगदान देते हैं, तो यह हमारे देश में निवेश करने वाले मूल्यवान निवेशकों को हतोत्साहित करता है। ऐसा माहौल अमेरिका के औद्योगिक आधार और आर्थिक विकास के प्रयासों को रोक देगा। साथ ही बढ़ते निवेश के साथ अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप की प्रतिबद्धता को कमजोर करेगा। गुडेन ने कहा कि इन फैसलों से साफ है कि बाइडन प्रशासन के अंत होने वाला है। इसका एकमात्र लक्ष्य राष्ट्रपति ट्रंप के लिए मुश्किलें पैदा करना है। न्याय विभाग को अमेरिकी लोगों की सेवा करने के लिए आने वाले प्रशासन के साथ सहयोग करना चाहिए। न्याय विभाग का कर्तव्य है कि आप ऐसी जटिलताएं पैदा न करें, जिससे अमेरिका की भू-राजनीतिक प्रतिष्ठा को खतरा हो। उन्होंने कहा कि मैं न्याय विभाग (डीओजे) द्वारा हाल ही में विदेशी संस्थाओं के खिलाफ चुनिंदा मामलों की जांच के बारे में पूछताछ करने के पत्र लिख रहा हूं। राष्ट्रपति ट्रंप के नेतृत्व में हमारा देश एक नए दौर में प्रवेश कर रहा है, अमेरिकियों को उम्मीद है कि यह समृद्धि, विकास, आर्थिक सुधार और राजनीतिक स्वतंत्रता के पुनरुद्धार का प्रतीक होगा। हमारे देश की समृद्धि को पुनर्जीवित करने के प्रयास में एक महत्वपूर्ण कारक अमेरिका में व्यापार करने के लिए संभावित निवेशकों की क्षमता और स्वतंत्रता शामिल है। उन्होंने कहा कि घरेलू स्तर पर बढ़ते हिंसक अपराधों के बारे में जनता के आक्रोश को पूरी तरह दरकिनार करते हुए न्याय विभाग विदेशों में कथित अन्याय के लिए व्यवसायों को लक्षित करने के लिए नए अभियान चला रहा है। सांसद ने अदाणी मामले को लेकर न्याय विभाग पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अदाणी मामले में आरोप सच साबित हो जाएं, फिर भी हम इस मुद्दे पर उचित और अंतिम मध्यस्थ नहीं बन पाएंगे। ये रिश्वत कथित तौर पर भारत में भारतीय राज्य सरकार के अधिकारियों को एक भारतीय कंपनी के भारतीय अधिकारियों द्वारा दी गई थी, जिसमें किसी भी अमेरिकी पक्ष की कोई ठोस संलिप्तता या नुकसान नहीं था। इसके विपरीत अमेरिकी कंपनी स्मार्टमैटिक के अधिकारियों ने कथित तौर पर धन शोधन किया और विदेशी सरकारों को रिश्वत दी। यदि मामला संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ महत्वपूर्ण सांठगांठ से जुड़ा है, तो न्याय विभाग ने एक भी अमेरिकी पर अभियोग क्यों नहीं लगाया है? उन्होंने पूछा कि क्या इस योजना में कोई अमेरिकी शामिल नहीं था? डीओजे ने गौतम अदाणी के खिलाफ ही मामला क्यों चलाया, जबकि कथित आपराधिक कृत्य और इसमें शामिल पक्ष भारत में हैं? क्या आप भारत में न्याय लागू करना चाहते हैं? क्या न्याय विभाग इस मामले में शामिल भारतीय अधिकारियों के प्रत्यर्पण की मांग करेगा? अगर भारत प्रत्यर्पण अनुरोध का पालन करने से इनकार कर देता है और इस मामले पर एकमात्र अधिकार का दावा करता है, तो न्याय विभाग की आकस्मिक योजना क्या होगी? क्या न्याय विभाग या बाइडन प्रशासन इस मामले को संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत जैसे सहयोगी के बीच एक अंतरराष्ट्रीय घटना में बदलने के लिए तैयार है?
अदाणी मामले को लेकर अमेरिकी सांसद ने उठाए सवाल, कहा- इससे भारत-अमेरिका के संबंध को नुकसान
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