भले ही महाराष्ट्र सरकार ने धारावी पुनर्विकास परियोजना औपचारिक रूप से अदाणी समूह की कंपनी को सौंप दी हो लेकिन धारावी निवासियों को अपने घरों और रोजी-रोटी का डर सता रहा है। धारावीवासियों का मानना है कि इस परियोजना से स्थानीय व्यवसायों पर निर्भर गरीब लोगों को नुकसान होगा। धारावी एशिया की सबसे बड़ी मलिन बस्तियों में से एक है। यहां बहुत सारी झोपड़ियाँ हैं और कई छोटे व्यवसाय हैं जिनसे स्थानीय लोग अपना गुजारा करते हैं। धारावी नागरिक सेवा संघ के अध्यक्ष पॉल राफेल ने कहा कि हमें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि राज्य सरकार ने इस परियोजना के लिए अदाणी समूह की एक कंपनी को हरी झंडी दे दी है। हमें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि राज्य सरकार ने इस परियोजना के लिए अदानी समूह की एक कंपनी को हरी झंडी दे दी है। इलाके में सैकड़ों ग्राउंड-प्लस दो मंजिला इमारतें हैं, जिनमें दो ही कमरे हैं। एक कमरे पर घर के मालिक का कब्जा है और दूसरे में किरायेदार रहता है, और मालिक अपना घर चलाने के लिए किराए के पैसे पर निर्भर रहता है। उन्होंने सवाल किया कि इस परियोजना में उनका घर टूट जाता है और मालिक को उसके हिसाब से एक कमरा दिया जाता है तो वह क्या करेंगे। सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए। वहीं राज्य सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए धारावी निवासी वकील संदीप कटाके ने आरोप लगाया कि यह परियोजना दुनिया का सबसे बड़ा भूमि घोटाला होगा। वकील ने कहा कि पुनर्विकास के नाम पर किसी भी परिवार को धारावी से बाहर नहीं भेजा जाना चाहिए। साथ ही दावा किया कि अदाणी को बिक्री के लिए छह करोड़ वर्ग फुट क्षेत्र मिल रहा है, जिससे वह 3,00,000 करोड़ रुपये कमाने जा रहे हैं। धारावी परियोजना में किसका भला होने वाला है, स्थानीय निवासी या अदाणी का। अधिकांश निवासियों के लिए, पुनर्विकास ने आजीविका के साथ-साथ आवास के मामले में भविष्य के बारे में अनिश्चितता की भावना ला दी है। एक निवासी ने कहा कि इस क्षेत्र में हजारों झोपड़ियां और झुग्गियां हैं, जिनमें से प्रत्येक में चार से पांच परिवार रहते हैं। पुनर्विकास के बाद, उन्हें केवल एक फ्लैट मिल सकता है, जो उनके लिए पर्याप्त नहीं होगा। निवासी तरुण दास ने कहा कि 2,000 से अधिक इडली विक्रेता धारावी में रहते हैं और पूरे शहर में भोजन की आपूर्ति करते हैं। पुनर्विकास के बाद ऐसे व्यवसाय अस्तित्व में नहीं रहेंगे। चमड़े के उत्पाद, नकली आभूषण और अन्य सामान बनाने वाली छोटी औद्योगिक इकाइयां बंद हो जाएंगी।
धारावी में लगभग 1.20 लाख झोपड़ियां
नाम न छापने की शर्त पर एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि पुनर्विकास परियोजना 2004 में तैयार की गई थी, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। 1995 में, क्षेत्र में 57,000 झोपड़ियां थीं, लेकिन वर्तमान में, हमें लगता है कि यह संख्या बढ़कर 1.20 लाख हो गई है। लगभग इलाके में 50 फीसदी लोग अपने घरों से छोटे व्यवसाय चलाते हैं। धारावी पुनर्विकास परियोजना के तहत 20,000 करोड़ रुपये में मध्य मुंबई में स्थित 259 हेक्टेयर में फैली धारावी झुग्गी बस्ती का पुनर्निर्माण किया जाना है। योजना की प्रतिस्पर्धी बोली पिछले साल नवंबर में अदाणी प्रॉपर्टीज ने जीती थी। इसमें डीएलएफ और नमन डेवलपर्स ने हिस्सा लिया था। राज्य मंत्रिमंडल ने 22 दिसंबर, 2022 को बोली प्रक्रिया के परिणाम को मंजूरी दी थी।
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