शराब घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया। उनकी गिरफ्तारी के बाद इंडी गठबंधन के नेताओं ने केंद्र सरकार को घेरा है, जबकि सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा कि उनके कर्मों के कारण ही उनकी गिरफ्तारी हुई है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए अन्ना हजारे ने कहा, “मैं बहुत दुखी हूं कि अरविंद केजरीवाल जो कभी मेरे साथ काम करते थे, उन्होंने शराब के खिलाफ अपनी आवाज उठाई थी। अब वह खुद शराब नीतियां बना रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी उनके कर्मों के कारण ही हुई है।” अन्ना हजारे ने मीडिया को बताया कि उन्होंने अरविंद केजरीवाल को इस तरह की नीति लागू नहीं करने की चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा, “मैंने बोला था कि हमारा काम शराब नीति बनाना नहीं है। एक छोटा बच्चा भी यह जानता है कि शराब बुरी चीज है। लेकिन उन्होंने नीति बनाई। उन्हें लगा कि वह इससे ज्यादा पैसे कमा लेंगे, इस वजह से उन्होंने इस नीति को लागू किया। मैं इस पर दुखी ता, मैंने उन्हें दो बार चिट्ठी भी लिखी।” बता दें कि शराब घोटाला मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के अलावा विजय नायर, अभिषेक बोइनपल्ली, समीर महेंद्रू, पी सरथ चंद्रा, बिनोय बाबू, अमित अरोड़ा, गौतम मल्होत्रा, राघव मंगुटा, राजेश जोशी, अमन ढाल, अरुण पिल्लई, मनीष सिसोदिया, दिनेश अरोड़ा, संजय सिंह, के. कविता को गिरफ्तार किया गया है।
अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल का रिश्ता
जनलोकपाल बिल आंदोलन के दौरान अन्ना हजारे की कोर टीम में शामिल अरविंद केजरीवाल का नाम जनता के सामने आया था। 2011 में शुरू हुई इस आंदोलन में केजरीवाल एक प्रमुख चेहरा थे, जिन्होंने अन्ना हजारे के साथ मिलकर जन लोकपाल विधेयक को लागू करने की मांग की थी। अन्ना हजारे ने नई दिल्ली में जंतर मंतर पर भूख हड़ताल शुरू की। इस दौरान अरविंद केजरीवाल ने किरण बेदी के साथ मिलकर विदेशों से काले धन को वापस लाने के लिए तत्कालीन सरकार को घेरा था। 17 नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार ने राज्य में नई शराब नीति लागू की थी। इसके तहत राजधानी में 32 जोन बनाए गए थे और हर जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें खुलनी थीं। इस तरह से कुल मिलाकर 849 दुकानें खुलनी थीं। नई शराब नीति में दिल्ली की सभी शराब की दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया। इसके पहले दिल्ली में शराब की 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40 प्रतिशत प्राइवेट थीं। नई नीति लागू होने के बाद 100 प्रतिशत प्राइवेट हो गईं। राज्य सरकार ने तर्क दिया था कि इससे 3,500 करोड़ रुपये का फायदा होगा। राज्य सरकार ने लाइसेंस की फीस भी कई गुना बढ़ा दी थी। जिस एल-1 लाइसेंस के लिए पहले ठेकेदारों को 25 लाख देना पड़ता था, नई शराब नीति लागू होने के बाद ठेकेदारों को पांच करोड़ रुपये चुकाने पड़े। इसी तरह अन्य कैटेगिरी में भी लाइसेंस की फीस में काफी बढ़ोतरी हुई। नई शराब नीति से जनता और सरकार दोनों को नुकसान होने का आरोप है। भाजपा ने आरोप लगाया कि इससे बड़े शराब कारोबारियों को फायदा हुआ।
अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अन्ना हजारे ने दी प्रतिक्रिया, बोले- यह उनके कर्मों का फल
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