क्रूज ड्रग्स केस में शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) के बेटे आर्यन खान (Aryan Khan) को बुधवार को भी जमानत नहीं मिली। अब इस मामले में गुरुवार को दोपहर 2:30 बजे के बाद सुनवाई होगी और ASG अनिल सिंह NCB की ओर से जमानत का विरोध करेंगे। बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका पर दूसरे दिन की सुनवाई करीब 1 घंटे की देरी से शुरू हुई। जस्टिस नितिन साम्ब्रे की अदालत में बुधवार को पहले अमित देसाई ने अरबाज मर्चेंट की जमानत के लिए पैरवी की और फिर मुनमुन धमेचा के वकील अली काशिफ खान देशमुख ने जिरह की। कोर्ट ने ASG अनिल सिंह से कहा कि वह अपनी बात गुरुवार को कोर्ट में रखें। इस तरह मामले की सुनवाई एक दिन और टल गई है। अमित देसाई ने जिरह करते हुए अरबाज की गिरफ्तारी को अवैध बताया और कहा कि अरेस्ट मेमो में जब मामला सिर्फ सेवन का है, वहां कोई साजिश की बात नहीं है तो NCB को इन्हें गिरफ्तार करने की जरूरत ही क्या थी? देसाई ने कहा कि मामले में जमानत दे देनी चाहिए, क्योंकि यह जीने का अधिकार है। जमानत मिलने के बाद भी जांच चलती रहेगी, कोई उसे रोक नहीं रहा है।
बुधवार को 2:30 बजे से सुनवाई शुरू होनी थी। लेकिन पुराने मामलों को निपटाने के बाद आर्यन-अरबाज और मुनमुन की जमानत याचिका का नंबर आया। दोपहर 3:45 बजे सुनवाई शुरू हुई और 5:30 बजे समाप्त हो गई।
आगे पढ़िए, कोर्ट से आंखों देखा हाल:
जस्टिस साम्ब्रे 2:40 मिनट पर अपने आसन पर आ गए हैं। वह पहले के बचे हुए दो मामलों का निपटारा कर रहे हैं, इसके बाद आर्यन और अरबाज की की जमानत याचिका पर सुनवाई होगी। कोर्ट के बाहर बुधवार को मंगलवार के मुकाबले कम भीड़ है। कोर्टरूम के बाहर वकीलों और पत्रकारों की दो कतार बनवाई गई है, बारी-बारी जरूरी जांच के बाद उन्हें अंदर भेजा जा गया। दोपहर 3:30 बजे ASG अनिल सिंह कोर्ट पहुंचे। उनके साथ वकील श्रीराम शिरसत और SSP अद्वैत सेठना भी हैं। मुकुल रोहतगी भी कोर्ट पहुंच चुके हैं। दोपहर 3:45 बजे सुनवाई शुरू हो गई है।
अरेस्ट मेमो में सिर्फ सेवन की बात, फिर साजिश की धारा कैसे
सुनवाई शुरू होते ही अमित देसाई ने अरबाज का अरेस्ट मेमो पढ़ना शुरू किया। देसाई ने कहा, ‘मी लॉर्ड यह नोटिस करेंगे कि 3 अक्टूबर की दोपहर में, इन तीनों लोगों (आर्यन, अरबाज, मुनमुन) को धारा 27ए और 29 के बिना समान अपराधों के लिए गिरफ्तार किया गया है और उन्हें केवल 20 (बी) और 27 के लिए गिरफ्तार किया गया है। इसका मतलब है कि यह सामग्री, मोबाइल फोन और इन सभी के आकलन पर है। मेरा मानना है कि वे वहां केवल ड्रग्स के सेवन के लिए गए थे। धारा 27 और 20 (बी) सेवन के लिए थी, जो कि अरेस्ट मेमो में है। यदि तब के आकलन पर कोई साजिश नहीं थी, तो सजा एक साल के लिए थी और मेमो से साफ है कि वहां कोई साजिश वाली बात नहीं है।’
देसाई बोले- कानून में जमानत नियम है, जेल अपवाद
देसाई: जिस व्यक्ति ने उन्हें गिरफ्तार किया, उन्होंने उनके साथ अनकनेक्टेड (एक-दूसरे से अलग) व्यवहार किया और सभी के साथ तब व्यक्तिगत रूप से व्यवहार किया। उस वक्त तक ऐसा था कि ये लोग अलग-अलग जाकर क्रूज पर सेवन करना चाहते थे। यदि ये तीन लोग अलग-अलग कुछ कर रहे हैं, तो 14(1)(ए) के तहत दंडनीय कार्रवाई क्या होनी चाहिए थी। सीआरपीसी इस प्रकार के अपराधों के लिए प्रावधान करता है। मैं अर्नेश कुमार का फैसला पढ़ना चाहूंगा। इसमें धारा 41A के दायरे पर काफी विस्तार से विचार किया गया था। कल जिस बात की ओर इशारा किया गया कि यह गिरफ्तारी अवैध थी। अर्नेश कुमार के फैसले में पैरा 5 महत्वपूर्ण है। कानूनन- जमानत नियम है और जेल अपवाद है। अब गिरफ्तारी नियम है और जमानत अपवाद है। अब मैं सीआरपीसी की धारा 51 पढ़ता हूं। यहां बलदेव सिंह का फैसला भी पढ़ना चाहूंगा।
‘उन्हें गिरफ्तार करने की जरूरत क्या थी?’
अमित देसाई: मैं अब आंध्र प्रदेश के उस फैसले को पढ़ता हूं, जिसमें कोर्ट ने इस पर गौर किया है कि क्या 41ए एनडीपीएस एक्ट पर लागू होता है। धारा 41ए एनडीपीएस अधिनियम पर लागू होती है, जो 7 साल से कम के कारावास के साथ दंडनीय है। बहुत दिमाग लगाने के बाद 20 (बी) और 27 के तहत 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उन्हें गिरफ्तार करने की क्या वाकई जरूरत थी? यहां कोई कोई साजिश नहीं थी, तो गिरफ्तार करने की क्या जरूरत थी?
देसाई: अर्नेश के फैसले के मुताबिक, यदि 41ए का उल्लंघन होता है तो उन्हें रिहा किया जाना चाहिए। अब दूसरा भाग। अगली घटना क्या थी? दोपहर 2 बजे उन्हें गिरफ्तार किया गया और शाम 7 बजे उन्हें पेश किया गया। इससे पहले तक न तो किसी को गिरफ्तार किया गया है और न ही अदालत के सामने पेश किया गया है। रिमांड अर्जी में साजिश की बात नहीं है, बाद में ये कहते हैं कि 8 लोगों ने साजिश रची और फिर जवाब में अब कह रहे कि 20 लोगों ने साजिश की है। हमारे विद्वान मजिस्ट्रेट ने उन्हें जांच के लिए हिरासत में भेज दिया और यह 7 अक्टूबर तक जारी रहा। आज तक साजिश के आरोप में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है और यह बात गौर करने वाली है कि साजिश अलग अपराध है। यह दूसरी घटना है और अब हम इन मुद्दों के कारण 22 दिनों के लिए हिरासत में हैं। अब हम इस पर विचार के लिए आए हैं और अब पंचनामा दिखाते हैं।
‘उनको लगा ये ग्रुप है, जबकि सब अलग-अलग हैं’
देसाई: NCB का पंचनामा खुद ही ‘साजिश के मामले’ को खारिज करता है। उन्होंने सोचा कि यह एक ग्रुप था, लेकिन क्या हुआ? यह व्यक्तिगत उपभोग का मामला है। यह कहता है “व्यक्तिगत सेवन को छोड़कर”, जबकि अरेस्ट मेमो में सेवन का कोई आरोप नहीं था। इस ग्रुप में विक्रांत और इश्मीत भी थे। मैं उनके खिलाफ सबमिशन नहीं कर रहा हूं, लेकिन माना जाता है कि वे साजिश में थे। फिर उन्हें दो और लोग मिले जो अरबाज और आर्यन थे। अरबाज के जूतों से 6 ग्राम चरस बरामद होने की संभावना है। जब अरबाज से पूछा गया तो उन्होंने कथित तौर पर कबूल कर लिया। मैं बयान वापस लेने की बात को अलग रख रहा हूं। आर्यन ने तत्काल सीसीटीवी फुटेज की जांच के लिए भी आवेदन किया था, जो टर्मिनल के पास है। इसमें कोई आदेश पारित नहीं किया गया है।
देसाई: यह कबूलनामा जो पंचनामा में जोड़ा गया, स्वीकार्य है। अरबाज ने सिर्फ सेवन किया है। अन्य लोगों से अलग जिनके अरेस्ट मेमो में खरीद और बिक्री है। मेरा सिर्फ सेवन पर है। फिर पंचनामे में गोमित चोपड़ा का जिक्र आता है, जिनसे पैसे मिले थे। साथ ही उनके साथ गिरफ्तार हुई महिला मुनमुन धमेचा का भी इस पंचनामे में जिक्र नहीं है। और जो कुछ भी कबूलनामे हैं, वह यह है कि दोनों ने सेवन किया था।
‘सेवन की बात कहां से आई, जब मेडिकल हुआ ही नहीं’
देसाई: एक अपराध के लिए 4 चीजें जरूरी हैं। इरादा सबसे बड़ा अपराध है। यदि पार्टी का आयोजन किया गया था और आयोजकों को आपूर्ति करनी थी, तो साजिश लागू होती है। लेकिन अगर सेवन करने का इरादा है तो वह भी लागू नहीं होना चाहिए, क्योंकि कोई हिरासत में लिए जाने के बाद कोई मेडिकल टेस्ट नहीं किया गया। धारा 20(बी) कब्जे और संयुक्त कब्जे का सिद्धांत है। सेवन एक क्रिया है, जो हुआ ही नहीं है। हमने सुबह सेशन कोर्ट में देखा.. दो छोटे बच्चे प्रयोग कर रहे थे.. और ये दोनों लोग ओडिशा के थे और उनका जवाब एक जैसा था, लेकिन फिर हमने आज पढ़ा कि उन्हें जमानत मिल गई है। ये वो लड़के हैं जो वेसिल पर थे, वेसिल छोड़ दिया, उन्होंने एंजॉय किया और फिर वापस आ गए, और फिर उन्हें पकड़ लिया गया। उन्हें जमानत दे दी गई है। वह आदेश इस न्यायालय पर बाध्यकारी नहीं है और मैं समानता पर नहीं हूं और यदि समानता नहीं है, तो मैं स्वतंत्रता पर हूं।
कोर्ट ने पूछा: उनके साथ कौन आया?
देसाई: वे दो स्वतंत्र व्यक्ति थे। यही तो कहा जा रहा है। हम दोनों (अरबाज और आर्यन) जुड़े हुए थे। मैं वह चार्ज चार्ट दिखाता हूं जो मुकुल रोहतगी ने जमा किया था। इसमें कहा गया कि एक ही उद्देश्य के लिए तीन अलग-अलग लोग आ रहे हैं जो कि साजिश नहीं है। भले ही अभियुक्त के इरादे एक जैसे हो, अभियोजन पक्ष को यह साबित करना होगा कि सामान्य इरादे से इसे अंजाम देने का इरादा था।