भारत बनाम इंग्लैंड सीरीज कई मायनों में रोहित शर्मा एंड कंपनी के लिए एक एसिड टेस्ट थी। न केवल यह भारत के सामने एक ऐसी टीम की प्रतिद्वंद्विता थी, जिसने पिछले कुछ वर्षों में अपने रास्ते में आने वाली लगभग हर टीम के खिलाफ जीत हासिल की थी, बल्कि टीम इंडिया खुद भी कुछ सीनियर खिलाड़ी की गैरमौजूदगी झेल रही थी। विराट कोहली, मोहम्मद शमी विभिन्न कारणों से पूरी सीरीज में नहीं खेल पाए जबकि चोट और खराब फॉर्म ने कुछ अन्य बड़े नामों को टीम से बाहर कर दिया। भारत ने सरफराज खान, ध्रुव जुरेल, आकाश दीप, रजत पाटीदार जैसे खिलाड़ियों को डेब्यू कराया और फिर भी एक मैच शेष रहते सीरीज में 3-1 की अजेय बढ़त हासिल की। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने कहा कि भारत को इस उपलब्धि पर गर्व महसूस करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यह बड़े नामों के लिए एक संदेश है जो सोचते हैं कि भारत उनके बिना नहीं जीत सकता। उन्होंने कहा, ‘तीन साल पहले भारत जब ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गया था, तब भी कई बड़े नाम नहीं खेल रहे थे, लेकिन टीम फिर भी गाबा सहित सीरीज जीतने में सफल रही थी। एडिलेड में पहले टेस्ट में 36 रन पर ऑल आउट होने के बाद भारत ने मेलबर्न में जीत हासिल की और सिडनी में ड्रॉ खेला। उन्होंने सिडनी टेस्ट मैच बचाने के लिए कड़ी मशक्कत की। अगर ऋषभ पंत आधे घंटे तक क्रीज पर रहते तो भारत वो मैच भी जीत सकता था। उस ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान युवा भारतीय खिलाड़ियों ने जो जज्बा दिखाया था, वह इस बार इंग्लैंड के खिलाफ भी दिख रहा था।
‘उनकी जरूरत नहीं है…’, खुद को सर्वोपरि समझने वाले खिलाड़ियों को सुनील गावस्कर का सख्त संदेश
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