#BREAKING LIVE :
मुंबई हिट-एंड-रन का आरोपी दोस्त के मोबाइल लोकेशन से पकड़ाया:एक्सीडेंट के बाद गर्लफ्रेंड के घर गया था; वहां से मां-बहनों ने रिजॉर्ट में छिपाया | गोवा के मनोहर पर्रिकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरी पहली फ्लाइट, परंपरागत रूप से हुआ स्वागत | ‘भेड़िया’ फिल्म एक हॉरर कॉमेडी फिल्म | शरद पवार ने महाराष्ट्र के गवर्नर पर साधा निशाना, कहा- उन्होंने पार कर दी हर हद | जन आरोग्यम फाऊंडेशन द्वारा पत्रकारो के सम्मान का कार्यक्रम प्रशंसनीय : रामदास आठवले | अनुराधा और जुबेर अंजलि अरोड़ा के समन्वय के तहत जहांगीर आर्ट गैलरी में प्रदर्शन करते हैं | सतयुगी संस्कार अपनाने से बनेगा स्वर्णिम संसार : बीके शिवानी दीदी | ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में आरती त्रिपाठी हुईं सम्मानित | पत्रकार को सम्मानित करने वाला गुजरात गौरव पुरस्कार दिनेश हॉल में आयोजित किया गया | *रजोरा एंटरटेनमेंट के साथ ईद मनाएं क्योंकि वे अजमेर की गली गाने के साथ मनोरंजन में अपनी शुरुआत करते हैं, जिसमें सारा खान और मृणाल जैन हैं |

कथक को अलग मुकाम तक ले गए थे पंडित बिरजू महाराज, नृत्य के वक्त घुंघरू भी किया करते थे बात एंटरटेनमेंट डेस्क, अमर उजाला Published by:

99
आज सुप्रसिद्ध कथक नर्तक बिरजू महाराज की पुण्यतिथि है। आज ही के दिन वह पिछले साल यानी 17 जनवरी 2022 को इस दुनिया को अलविदा कह गए थे। बिरजू महाराज एक ऐसी शख्सियत थे, जो घुंघरू की झंकार से दर्शकों का मन मोह लेते थे। जब बिरजू महाराज नृत्य करते थे, तब उनके घुंघरू भी बात किया करते थे। ताल और घुंघरू का तालमेल करना एक नर्तक के लिए आम बात है, लेकिन अपनी घुंघरू की झनकार से दर्शकों को मनमोहित करने की जब बात होती है तो बिरजू महाराज का नाम सबसे पहले आता है। उन्होंने कथक को भारत सहित पूरे विश्व में एक अलग मुकाम पर पहुंचाया था। चलिए आज बिरजू महाराज की पुण्यतिथि के मौके पर जानते हैं उनके बारे में कुछ खास बातें… बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी 1938 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ था। उनके पिता का नाम जगन्नाथ महाराज और माताजी का नाम अम्मा महाराज था। बिरजू महाराज जब केवल तीन साल के थे, तभी पिता ने उनमें नृत्य की प्रतिभा को देखते हुए दीक्षा देना शुरू कर दिया था। जब बिरजू महाराज नौ साल के हुए तो उनके पिता की मृत्यु हो गई। इसके बाद उन्होंने चाचा आचार्य शंभू और लच्छू महाराज से दीक्षा लेना शुरू कर दिया। कुछ वर्षों बाद पंडित महाराज दिल्ली आ गए और संगीत भारती में बच्चों को कथक सिखाना शुरू कर दिया। कथक के साथ-साथ बिरजू महाराज को तबला, पखावज नाल और सितार आदि वाद्य यंत्र में भी महारत हासिल थी। इसके साथ ही बिरजू महाराज एक अच्छे गायक कवि और चित्रकार भी थे। उन्होंने कथक को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली में नृत्य स्कूल ‘कलाश्रम’ की स्थापना की, जहां कथक के अलावा इससे संबंधित विषयों पर शिक्षा दी जाती थी। बिरजू महाराज ने कथक को एक अलग पहचान दी। बिरजू महाराज का एक लंबा सफर रहा है। उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में भी नृत्य का निर्देशन किया है। बिरजू महाराज ने सत्यजीत राय की शास्त्रीय कीर्ति ‘शतरंज के खिलाड़ी’, यश चोपड़ा की फिल्म ‘दिल तो पागल है’, ‘गदर एक प्रेम कथा’ ‘डेढ़ इश्किया’ और संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘देवदास’ के साथ साथ ‘बाजीराव मस्तानी’ में नृत्य का निर्देशन किया है।
पंडित बिरजू महाराज

बिरजू महाराज ने अपने लंबे सफर में कई प्रसिद्धियां बटोरी हैं। बिरजू महाराज को 1986 को पद्म विभूषण सम्मान, संगीत नाटक अकादमी और कालिदास सम्मान से भी नवाजा गया था। इसके बाद साल 2002 में लता मंगेशकर पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया गया। साल 2012 में सर्वश्रेष्ठ नृत्य निर्देशन के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार फिल्म विश्वरूपम से उन्हें नवाजा गया। इसके बाद 2016 में पंडित बिरजू महाराज को हिंदी फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ में मोहे रंग दो लाल गाने के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार मिला।

43 Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *