देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों को आपने भी सुना ही होगा। प्रधानमंत्री मोदी को अक्सर अपने भाषणों में अपनी मां का जिक्र कर भावुक होते भी देखा होगा। कुछ इसी तर्ज पर सोमवार को श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में राहुल गांधी भी अपनी दादी और पिता को याद कर भावुक हो गए। करीब चालीस मिनट से ज्यादा तक चले इस भाषण में राहुल गांधी ने इमोशन की पिच पर न सिर्फ कश्मीर, बल्कि कश्मीरियत के साथ देश के तमाम राज्यों को जोड़ते हुए गंगा जमुनी तहजीब का उदाहरण भी दिया। सियासत में चर्चाएं अब इस बात की हो रही है कि क्या राहुल गांधी भी मोदी की तर्ज पर इमोशनल कार्ड के माध्यम से देश के लोगों से सीधे जुड़कर पार्टी को आगे ले जा पाएंगे। श्रीनगर में हो रही भीषण बर्फबारी के बीच राहुल गांधी ने सबसे ज्यादा बात कश्मीर के हालातों और यात्रा के अनुभवों पर रखी। इस दौरान राहुल गांधी ने अपनी दादी और अपने पिता की मौत की खबर का जिक्र कर न सिर्फ भावुक हुए बल्कि कश्मीर के साथ पूरे देश में एक इमोशनल कनेक्ट बनाने की कोशिश भी की। सियासी जानकार डीपी डोगरा कहते हैं कि राहुल के तकरीबन चालीस मिनट से ज्यादा के भाषण में जिस तरीके से इमोशंस थे वह न सिर्फ देश के लोगों को बल्कि कश्मीर के लोगों को सीधे तौर पर कनेक्ट करने के लिए पर्याप्त थे। वह कहते हैं कि राहुल गांधी ने अपने भाषण के दौरान कश्मीर से निकली कश्मीरियत और उत्तर प्रदेश में संगम से गंगा जमुनी तहजीब का रिश्ता निकाल कर कांग्रेस के लिए सियासी रूप से कमजोर इस प्रदेश को भी जोड़ने की कोशिश की। राहुल गांधी ने घाटी में होने वाली घटनाओं और उसमें होने वाली मौतों पर फोन से घर पर दी जाने वाली सूचनाओं को भी इमोशनली कनेक्ट किया। डोगरा कहते हैं कि राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के समापन के दौरान ऐसी उन सभी घटनाओं का जिक्र करना जरूर चाह रहे थे जिससे वह लोगों से इमोशनली कनेक्ट हो सके। राजनैतिक विश्लेषक कहते हैं कि जिस तरीके से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी जनसभाओं में और रैलियों में जनता से सीधे तौर पर इमोशनली कनेक्ट होते हैं ठीक उसी तर्ज पर राहुल गांधी ने सोमवार को कश्मीर में यहां की आवाम और देश के लोगों से इमोशनली कनेक्ट करने की एक कोशिश की। इंस्टीट्यूट आफ बिहेवियरल साइंस के रिटायर्ड विभागाध्यक्ष अरुण मोहंती कहते हैं कि किसी से भी सीधे तौर पर कनेक्ट होने के लिए इमोशनल होना बेहद महत्वपूर्ण है। वो कहते हैं कि राजनीति में इमोशनली पॉलीटिकल स्पीच किसी भी सामान्य भाषण की तुलना में कई गुना ज्यादा लोगों पर असर डालती है। मोहंती कहते हैं कि यही वजह है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हो या कोई भी दूसरा बड़ा नेता जब मैं पब्लिक से इमोशनली कनेक्ट करता है तो उसका असर और पब्लिक से संवाद सामान्य स्पीच की तुलना में कई गुना ज्यादा होता है। और इसका असर और फायदा भी होता है। राजनीति को का मानना है कि राहुल गांधी ने श्रीनगर के शेर ए कश्मीर स्टेडियम से सिर्फ कश्मीर और नॉर्थ इंडिया ही नहीं बल्कि दक्षिण भारत को भी सीधे तौर पर कनेक्ट किया है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक सुदर्शन कहते हैं कि इस पूरी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान एक बात जो स्पष्ट रूप से नजर आई वह यही है कि लोगों के देखने का नजरिया राहुल गांधी को लेकर पूरी तरीके से बदला हुआ है। वो कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी के लिए यह यात्रा सियासी रूप से और मजबूत हो सकती है बशर्ते वह अपने इसी रिदम को आगे बढ़ाएं रखें। कांग्रेस पार्टी से जुड़े वरिष्ठ नेता बताते हैं कि राहुल गांधी ने श्रीनगर में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से अपील की है कि हाथ से हाथ जोड़ो अभियान को देश के हर गांव घर तक पहुंचाना है। उनका कहना है कि इस अभियान के बाद संभवत कांग्रेस की दूसरी बड़ी यात्रा जो पश्चिम से पूर्वोत्तर तक जाएगी वह भी शुरू होने वाली है।
कश्मीर में राहुल गांधी का इमोशनल कार्ड! क्या पीएम मोदी की राह पर चले कांग्रेस नेता
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