कांग्रेस नेता राहुल गांधी के हालिया बयान को लेकर उनके खिलाफ असम में प्राथमिकी दर्ज की गई है। प्राथमिकी में उन पर देश की संप्रभुता को खतरे में डालने का आरोप लगाया गया है। वहीं, सोमवार को कांग्रेस पार्टी ने इसे राजनीतिक स्टंट करार दिया। पुलिस ने बताया कि वकील मंजित चेतिया ने प्राथमिकी शनिवार शाम को पनबाजार थाने में दर्ज कराई। चेतिया का आरोप है कि राहुल गांधी ने पिछले हफ्ते नई दिल्ली में कांग्रेस के नए राष्ट्रीय मुख्यालय के उद्घाटन के दौरान अपने संबोधन में कहा था, भाजपा और आरएसएस ने देश के हर एक संस्थान पर कब्जा कर लिया है और अब हम भाजपा, आरएसएस और भारतीय राज्य से ही लड़ रहे हैं।
चेतिया ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने यह बजान जानबूझकर और सोच-समझकर देश की संप्रभुता और अखंडता को कमजोर करने के लिए दिया और इसका मकसद लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार के खिलाफ विद्रोह को उकसाना था। वकील ने अपनी शिकायत में कहा, लोकतांत्रिक तरीकों से जनविश्वास हासिल करने में विफल रहने पर आरोपी अब केंद्र सरकार और भारतीय राज्य के खिलाफ असंतोष फैलाने की कोशिश कर रहा है। प्राथमिकी भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152 और 197 (1) (डी) के तहत दर्ज की गई है। धारा 152 भारतीय राज्य की संप्रभुता, एकता या अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों से संबंधित है। जबकि धारा 197 (1) (डी) ऐसी झूठी या भ्रामक जानकारी देने से संबंधित है, जो भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है। इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने कहा, राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी एक राजनीतिक स्टंट है। यह मामला भाजपा की ओर से विपक्ष की आवाज को डराने के लिए दर्ज कराया गया है। सैकिया ने राहुल गांधी के बयान का बचाव करते हुए कहा कि कई मौकों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने भाजपा सरकार के इशारे पर काम किया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने अब मतदान केंद्रों पर आधारित मतदान डाटा प्रदान करना बंद कर दिया है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ असम में FIR दर्ज, देश की संप्रभुता को खतरे में डालने का लगाया आरोप
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