देशभर में इन दिनों धर्म के नाम पर लगातार विवाद देखने को मिल रहा है। नुपुर शर्मा के विवादित बयान के बाद भड़की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि डॉक्युमेंट्री फिल्म काली के विवादित पोस्टर ने इस आग को और हवा दे दी है। काली के पोस्टर से शुरू हुआ यह विवाद रुकने का नाम नहीं ले रहा है। देवी का अपमान करता यह पोस्टर सामने आने के बाद से ही डॉक्युमेंट्री की निर्देशक लीना मणिमेकलई चर्चाओं में बनी हुई हैं। इतना ही नहीं अपनी इस फिल्म को लेकर वह विवादों में फंसती जा रही हैं। फिल्म के विवादित पोस्टर को लेकर लीना के खिलाफ लखनऊ, दिल्ली, गोंडा, लखीमपुर खीरी, और रतलाम समेत देश के कई हिस्सों में एफआईआर दर्ज हो चुकी है। फिल्म के इस पोस्टर को लेकर मचे बवाल के बीच आइए जानते हैं इस पूरे विवाद के बारे में- मां काली के पोस्टर को लेकर शुरू हुआ यह पूरा विवाद कनाडा के टोरंटो से जुड़ा हुआ है, जहां लीना ने काली पर बनाई इस डॉक्युमेंट्री का पोस्टर जारी किया था। दो जुलाई को सबसे पहले लीना ने अपने ट्विटर अकाउंट पर इस पोस्टर को शेयर किया था। इसके बाद इसे कनाडा के आगा खां म्यूजियम में दिखाया गया। पोस्टर सामने आने पर कनाडा के इंडियन हाई कमिशन ने इसके खिलाफ आपत्ति भी जाहिर की थी, जिसके बाद काली के अपमान की यह आग भारत तक पहुंच गई। मां काली के इस अपमानित पोस्टर को देख लोग इसके खिलाफ सड़कों पर उतर आए और प्रदर्शन करने लगे देखते ही देखते यह विवाद देश भर में फैल गया। विवाद को देखते हुए बाद में ट्विटर ने लीना के काली फिल्म के इस विवादित पोस्टर को ट्विटर से हटा दिया है। इस मामले पर सभी की तरफ से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी। अयोध्या के हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने कहा कि फिल्म निर्माता द्वारा इस तरह की फिल्म बनाना बेहद निंदनीय है। मैं गृहमंत्री जी से निवेदन करता हूं कि इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो। उन्होंने आगे कहा कि अभी तो सिर्फ पोस्ट रिलीज हुआ है, इसलिए माफी मिल सकती है। अगर फिल्म रिलीज हो गई तो ऐसी भयानक स्थिति पैदा कर देंगे कि इसे संभालना मुश्किल होगा। फिल्म काली के पोस्टर पर शुरू हुए विवाद ने सियासी रूप भी लिया। टीएमसी नेता के इस विवाद पर बयान से जहां मामला और गर्म हो गया तो वहीं बीजेपी नेताओं ने इस पर फिल्म की निर्देशक लीना पर जमकर हमला बोला। महाराष्ट्र बीजेपी नेता राम कदम ने कहा कि फिल्म जगत के लोग ओछी लोकप्रियता हासिल करने के लिए हिंदू देवी- देवताओं का लगातार अपमान कर रहे हैं। ऐसी फिल्म बनाने वालों पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं इस पूरे मामले पर बढ़ते विवाद को देखते हुए पोस्टर को लेकर आलोचनाएं झेल रहीं फिल्म की निर्देशक लीना मणिमैकलई ने भी अपना पक्ष रखा। पूरे मामले पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि यह फिल्म एक ऐसी घटना की कहानी है जिसमें एक शाम काली प्रकट होती हैं और टोरंटो की सड़कों पर घूमने लगती हैं। उन्होंने आगे यह भी कहा कि अगर आप यह फिल्म देखेंगे तो मुझे गिरफ्तार करने वाले ट्वीट नहीं बल्कि प्यार करने वाले ट्वीट शेयर करेंगे।
इन दिनों देशभर में आलोचनाएं झेल रहीं फिल्ममेकर लीना का जन्म तमिलनाडु के मदुरै में हुआ था। हालांकि, वर्तमान में यह भारत में नहीं बल्कि कनाडा के टोरंटो में रहती हैं। बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर अपने करियर की शुरुआत करने वाली लीना ने साल 2002 में अपनी पहली डॉक्युमेंट्री ‘मथम्मा’ बनाई थी। इसके बाद 2004 में लीना ने दलित महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा पर डॉक्युमेंट्री ‘पाराई’ बनाई थी। उन्होंने साल 2011 में पहली फीचर फिल्म सेंगडल रिलीज की, जो धनुष्कोड़ी के मछुआरों पर आधारित थी। लीना की इस फिल्म को लेकर काफी विवाद हुआ था। इसके अलावा लीना अपनी फिल्म व्हाइट वैन स्टोरीज लेकर भी विवादों में रही थीं। अपने करियर के दौरान लीना ने कई इंटरनेशनल और नेशनल फिल्म फेस्टिवल अवॉर्ड हासिल किए है।
भारत में मां काली दूसरी ऐसी देवी हैं, जिन्हें हिंदू सबसे ज्यादा पूजते हैं। एक सर्वे के मुताबिक करीब 97% हिंदुओं की ईश्वर के प्रति आस्था है। देश में हिंदुओं के बीच मां लक्ष्मी सबसे लोकप्रिय देवी हैं। यही वजह है कि करीब 28% लोग मां लक्ष्मी को अपने आराध्य देवी मानते हैं। इसके बाद देश में सबसे ज्यादा लोग मां काली को अपनी ईष्ट देवी मानते हैं। हिंदू धर्म में देवी काली को दुर्गा का ही एक रूप माना जाता है। उत्तर पूर्वी भारत खासकर बंगाल, असम, उड़ीसा, बिहार, झारखंड में देवी काली सबसे ज्यादा पूजी जाती हैं। रामकृष्ण परमहंस से लेकर विवेकानंद तक मां काली के परम भक्त माने जाते हैं। आंकड़ों के मुताबिक लगभग 20 फीसदी लोगों की मां काली में आस्था है। यही वजह है कि वह देवी काली से ज्यादा लगाव महसूस करते हैं और इस तरह का अपमान देख उनकी भावनाएं आहत हो गई है।