मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के विरोध में आम आदमी पार्टी कार्यकर्ता आज देश भर में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन से दिल्ली में आम आदमी पार्टी और भाजपा मुख्यालय, आईटीओ, राऊज एवेन्यू, माता सुंदरी रोड से लेकर दिल्ली रेलवे स्टेशन तक सभी सड़कें जाम हो गईं और लोगों को आवाजाही में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं ने यूपी, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तराखंड और गोवा तक मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी का विरोध किया और इसे केंद्र सरकार की विपक्ष को दबाने की कार्रवाई बताया। इस प्रदर्शन का किसे लाभ मिलेगा, इसका सियासी आकलन जारी है। कानून के जानकारों के अनुसार, मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के लिए सीबीआई ने जिन साक्ष्यों को आधार बनाया है, अदालत में उससे इनकार कर पाना उनके लिए मुश्किल होगा। इसमें दूसरों के नाम पर मोबाइल की खरीद, उपयोग के बाद उन्हें नष्ट करना, विजय नायर की गवाही, स्टिंग ऑपरेशन में सामने आई बातचीत, व्हाट्सएप से हुई बातचीत, शराब घोटाले में नीतिगत बदलाव कर सरकार को नुकसान पहुंचाना और इसके बदले शराब व्यवसाइयों का कमीशन दो फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी करना शामिल हैं। इन साक्ष्यों को अदालत ने स्वीकार कर लिया, तो सबसे पहले मनीष सिसोदिया को जमानत मिलने में मुश्किल आ सकती है। बाद में अदालती कार्यवाही में भी आम आदमी पार्टी नेता का बचना काफी मुश्किल होगा। गिरफ्तारी के बाद हो रहे प्रदर्शन में आम आदमी पार्टी अब तक अपना हौसला बनाये रखने का संकेत दे रही है। उसके नेता इस प्रदर्शन के बहाने पार्टी का राजनीतिक विस्तार करने की बात भी कर रहे हैं। इसी सोची-समझी रणनीति के मुताबिक आम आदमी पार्टी उन राज्यों-शहरों में भी प्रदर्शन कर रही है, जहां उसका व्यापक जनाधार नहीं है। इसमें कर्नाटक और मध्यप्रदेश भी शामिल है, जहां इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। पार्टी इन जगहों पर प्रदर्शन को व्यापक स्वरूप प्रदान कर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश करेगी। लेकिन मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी को अपना मोमेंटम बनाये रख पाना आसान नहीं होगा। सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद आम आदमी पार्टी के पास ऐसे बड़े चेहरे नहीं होंगे, जिनके बल पर पार्टी अपने चुनावी अभियान आगे बढ़ा पाएगी। अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान के सहारे पार्टी अपना अभियान बहुत आगे नहीं जा पाएगी। अरविंद केजरीवाल को ऐसे समय में अपनी विचारधारा के उन भरोसेमंद लोगों की कमी जरूर महसूस होगी, जो आंदोलन के दिनों से उनके करीबी रहे थे, लेकिन आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद केजरीवाल ने मतभेदों के कारण एक-एक कर उन सबको किनारे कर दिया। आम आदमी पार्टी इस विवाद का लाभ उठाने की कोशिश करेगी, वहीं भाजपा को शराब घोटाले के कारण ही दिल्ली की राजनीति में पहली बार आम आदमी पार्टी को कड़ी टक्कर देने में सफलता मिली है, वह इसे पूरी तरह भुनाने की कोशिश करेगी। यानी यह विवाद अभी शांत पड़ने वाला नहीं है।
क्या असर दिखाएगी सिसोदिया की गिरफ्तारी? AAP के प्रदर्शन से दिल्ली जाम
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