कोरोना महामारी की वजह से उत्पन्न आर्थिक संकट से निपटने के लिए मोदी सरकार का नोट छापने का कोई इरादा नहीं है। आज वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में यह स्पष्ट किया। इस सवाल पर कि क्या संकट से निपटने के लिए मुद्रा छापने की कोई योजना है, वित्तमंत्री ने कहा, “नहीं सर”।
वित्तमंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल्स लॉकडाउन के क्रमिक स्केलिंग के रूप में मजबूत बने हुए हैं। बता दें कई अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि कोरोना के कारण तबाह हुई अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और नौकरियों की रक्षा करने के लिए अधिक नोटों की छपाई का सहारा लिया जाए।
पीटीआई के मुताबिक, वित्त मंत्री ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि 2020-21 के दौरान भारत के वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.3 फीसद की कमी आने का अनुमान है। संसद में निर्मला सीतारमण ने बताया कि सरकार ने आर्थिक विकास को गति देने , महामारी के असर से निपटने और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान आत्मनिर्भर भारत के तहत 29.87 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी।
उन्होंने कहा कि 4 जून, 2021 की समिति (एमपीसी) के प्रस्ताव ने 2021-22 में भारत की वास्तविक जीडीपी के 9.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया है, जो कि इसके पहले के 10.5 प्रतिशत के अनुमान की तुलना में दूसरी लहर के प्रभाव के बाद है।