केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के कथित उल्लंघन के मामले में गृह मंत्रालय के अवर सचिव रैंक के अधिकारी को हिरासत में लिया है। हिरासत में लेने के बाद अवर सचिव रैंक के अधिकारी से सीबीआई के अधिकारियों ने मामले को लेकर पूछताछ भी की। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, हिरासत में लिए गए अवर सचिव रैंक के अधिकारी की तैनाती गृह मंत्रालय के एफसीआरए डिवीजन में थी। उन्हें शुक्रवार की शाम को इस मामले में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था। इस मामले में कुल 14 लोगों को गिरफ्तार भी किया जा चुका है। इनमें से छह सदस्यों से पूछताछ के दौरान अवर सचिव रैंक के अधिकारी का नाम सामने आया था। जिसके बाद इस मामले में उनकी भूमिका जांच के दायरे में आ गई थी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के कथित उल्लंघन के मामले में 11 मई को देश भर में 40 जगहों पर छापा मारा था। इतना ही नहीं, गृह मंत्रालय के अधिकारियों समेत 14 लोगों को गिरफ्तार भी किया था। छापेमारी की कार्रवाई के दौरान जांच एजेंसी ने हवाला के जरिये प्राप्त 3.32 करोड़ नकद भी जब्त की थी। सीबीआई ने गृह मंत्रालय के जिन अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया है, उनमें प्रमोद कुमार भसीन, आलोक रंजन, राज कुमार, मोहम्मद गजनफार अली, उमा शंकर और तुषार कांति रॉय हैं। तब अधिकारियों ने बताया था कि एफसीआरए के कथित उल्लंघन का मामला जब गृहमंत्री अमित शाह के संज्ञान में आया तो उन्होंने निर्देश दिया कि इसमें शामिल लोगों के खिलाफ यथासंभव कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए। तब गृह मंत्रालय ने इस मामले में सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा था कि इस मामले में पकड़े गये कुछ अधिकारियों एवं अन्य लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी संबंधी औपचारिकताएं पूरी की जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी के अभियान के दौरान पता चला कि एफसीआरए के नियमों का कथित उल्लंघन करते हुए अनेक एनजीओ को विदेशी अनुदान दिलाने में रिश्वत के लेनदेन में अनेक अधिकारी कथित तौर पर शामिल थे। उन्होंने बताया कि दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद, कोयंबटूर, मैसूर और राजस्थान में कुछ स्थानों समेत करीब 40 जगहों पर समन्वित अभियान चलाया गया था।
गृह मंत्रालय के सात अधिकारियों समेत 36 के खिलाफ केस
मंत्रालय की शिकायत पर जांच एजेंसी ने 10 मई को केंद्रीय गृह मंत्रालय के सात अधिकारियों समेत 36 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। मंत्रालय को यह जानकारी मिली थी कि तीन नेटवर्क सरकारी अधिकारियों के साथ सक्रिय हैं। वे ‘स्पीड मनी’ और ‘प्रॉब्लम रिजॉल्यूशन फीस’ के नाम पर एनजीओ से रुपये ऐंठ रहे थे ताकि उन्हें विदेशी चंदा मिल सके। सीबीआई को 29 मार्च को दी गई सूचना में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि कम से कम तीन एफसीआरए क्लीयरेंस नेटवर्क सरकारी अधिकारियों के सहयोग से संचालित हो रहे हैं।
एनजीओ जिनके खिलाफ केस हुआ दर्ज
रिप्रेंजेंटेटिव ऑफ आयरिश मल्टीपरपस सोशल सर्विस सोसाइटी, सेंटर फॉर ट्राइबल और रूरल डेवलपमेंट ट्र्स्ट, मोहम्मद जहांगीराबाद एजुकेशनल ट्रस्ट, क्रिश्चियन लाइफ सेंटर मिनिस्टरीज, हार्वेस्ट इंडिया, नई रोशनी फाउडेशन समेत अन्य एनजीओ के खिलाफ इस मामले में केस दर्ज किया गया है।