केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान बुधवार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा आयोजित संस्थागत विकास योजना (आईडीपी) पर एक कार्यशाला में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि विश्व नए मॉडल और मौजूदा चुनौतियों के समाधान के लिए भारत की ओर देख रहा है। प्रधान ने अकादमिक बिरादरी से अपने संस्थानों को नया स्वरूप देने और “राष्ट्रीय प्राथमिकताओं” को हासिल करने का आह्वान भी किया। हमारी शिक्षा को 21वीं सदी की आकांक्षाओं को संबोधित करना चाहिए और स्थानीय तथा वैश्विक चुनौतियों के लिए समाधान तैयार करना चाहिए। दुनिया हमारे युग की चुनौतियों के लिए नए मॉडल और समाधान के लिए भारत के प्रतिभा पूल की ओर देखती है। उन्होंने कहा, “मैं शैक्षणिक बिरादरी से आग्रह करता हूं कि वे अपने संस्थानों को नया स्वरूप देने, उच्च शिक्षा परिदृश्य को बदलने और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को प्राप्त करने के लिए एक केंद्रित और समयबद्ध तरीके से काम करें। शिक्षा भारत को एक उपभोग अर्थव्यवस्था से एक उत्पादक अर्थव्यवस्था बनने के लिए प्रेरित करेगी।” मंत्री ने जोर देकर कहा कि संस्थागत विकास योजना को हमारी जनसांख्यिकी की दक्षताओं को बढ़ाने, उच्च शिक्षा में भारतीय भाषाओं को एकीकृत करने, नवाचार, उद्यमिता और रोजगार सृजन को प्राथमिकता देने और अनुसंधान एवं विकास के वैश्विक मानक को प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कार्यशाला में यूजीसी दिशानिर्देशों का एक संग्रह भी लॉन्च किया। प्रधान ने शिक्षा के उद्देश्य और संरचना को फिर से परिभाषित करने, युवाओं को सशक्त बनाने और उन्हें भविष्य के लिए तैयार करने में हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों की भूमिका के बारे में बात की।
नए मॉडल और चुनौतियों के समाधान के लिए भारत की ओर देख रही दुनिया, बोले शिक्षा मंत्री
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