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नवाब मलिक के खिलाफ मामले में मुंबई पुलिस लगाएगी क्लोजर रिपोर्ट, कहा- सबूतों के अभाव में उठाया कदम

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समीर वानखेड़े की तरफ से एनसीपी नेता नवाब मलिक के खिलाफ दर्ज कराए गए मामले में मुंबई पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट लगाने का फैसला किया है। मुंबई पुलिस ने बॉम्बे हाईकोर्ट में कहा कि हमने अत्याचार अधिनियम मामले की जांच की है। सबूतों के अभाव में हम मामले में क्लोजर रिपोर्ट लगा रहे हैं। बता दें कि समीर वानखेड़े आईआरएस (भारतीय राजस्व सेवा) के अफसर हैं और उन्होंने मलिक के खिलाफ अत्याचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया है। वानखेड़े ने हाईकोर्ट में याचिका लगाकर इस मामले को सीबीआई को सौंपे जाने की मांग की थी। उन्होंने पुलिस पर कार्रवाई आगे न बढ़ाने का आरोप लगाया था। मौजूदा समय में वानखेड़े करदाता सेवाओं के निदेशालय में अतिरिक्त आयुक्त के पद पर तैनात हैं और एससी महार समुदाय से आते हैं। उनकी याचिका पर हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस से जानकारी मांगी थी। इस पर अतिरिक्त लोक अभियोजक एसएस कौशिक ने न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ को बताया कि 2022 अत्याचार मामले की जांच के बाद पुलिस ने ‘सी-समरी रिपोर्ट’ दाखिल करने का फैसला किया है। ‘सी-समरी रिपोर्ट’ उन मामलों में दायर की जाती है, जहां जांच के बाद पुलिस इस नतीजे पर पहुंचती है कि कोई सबूत नहीं है और अत्याचार का मामला न तो सच है और न ही झूठा है। एक बार जब ऐसी रिपोर्ट कोर्ट के पास आती है तो शिकायतकर्ता उसे चुनौती दे सकता है। इसके बाद कोर्ट मामले में सभी पक्षों को सुनती है और क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार और अस्वीकार करने का फैसला करती है।  पुलिस की रिपोर्ट के बाद पीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि पुलिस के बयान के मद्देनजर कुछ भी शेष नहीं है। वानखेड़े कानून के अनुसार उचित मंच के समक्ष उचित कदम उठा सकते हैं। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि हमने याचिकाकर्ता की शिकायत के गुण-दोष या पुलिस द्वारा की गई जांच पर विचार नहीं किया है, इसलिए सभी पक्षों की दलीलें खुली रखी गई हैं।

पुलिस ने यह दी जानकारी
मामले में लगाई गई क्लोजर रिपोर्ट को लेकर पुलिस ने अदालत को बताया कि मामले में दो और धाराएं शामिल की गई हैं। इसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(1) क्यू और आर शामिल है। ये धाराएं किसी लोक सेवक को चोट पहुंचाने या परेशान करने तथा अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य को जानबूझकर अपमानित करने या डराने के लिए झूठी या तुच्छ जानकारी देने से संबंधित हैं। आईआरएस अफसर समीर वानखेड़े ने 2022 में महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ गोरेगांव पुलिस के सामने अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि मलिक ने इंटरव्यू और सोशल मीडिया पोस्ट्स के जरिए वानखेड़े और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ जाति आधारित अपमानजनक टिप्पणियां की थीं। इस मामले में मलिक की न तो गिरफ्तारी हुई और न ही उनके खिलाफ अब तक चार्जशीट दाखिल हुई है। इसी को लेकर 20 नवंबर को समीर वानखेड़े ने याचिका दार की थी और कहा था कि पुलिस ने मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है और केस को सीबीआई को सौंप दिया जाना चाहिए। उन्होंने मांग की कि इस जांच को कोर्ट की निगरानी में कराया जाना चाहिए।