राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने महाराष्ट्र के डीजीपी को पत्र लिखकर निर्भया फंड के तहत खरीदे गए वाहनों को तत्काल वापस लेने की मांग की है। एनसीपी ने डीजीपी को लिखे पत्र में लिखा है कि यह व्यापक रूप से बताया गया है कि महाराष्ट्र के गृह विभाग ने निर्भया फंड के तहत खरीदे गए लगभग 40 वाहनों को शिंदे गुट के विधायकों की सुरक्षा के लिए लगा दिया । सरकार के इस फैसले की राज्य के नागरिकों द्वारा आलोचना की जा रही है और यह बेहद निंदनीय है क्योंकि पूरी निर्भया योजना का मूल आधार ही विफल हो गया है। गृह मंत्रालय ने शिंदे गुट के सभी विधायकों को Y+ सुरक्षा प्रदान की है, जो अपने आप में विधायकों को VIP दर्जा देने के कदम की तरह लगता है। यह शर्मनाक है कि इन विधायकों ने इन वाहनों को कैसे स्वीकार किया है और यह बात सामने आने के बाद कि ये वाहन महिलाओं की सुरक्षा के लिए खरीदे गए थे, कोई भी उक्त वाहनों को स्वेच्छा से वापस लेने के लिए तैयार नहीं दिख रहा है। राज्य में महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित मुद्दों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए पुलिस तंत्र को सक्षम बनाने के लिए निर्भया फंड बनाया गया था। महिला सुरक्षा के लिए बने वाहनों को डायवर्ट करना और उन्हें सरकार के समर्थन वाले विधायकों की सुरक्षा के लिए सेवा में देना स्पष्ट रूप से निर्भया योजना का उल्लंघन है और सरकार उस गलती को सुधारने के लिए बाध्य है जो विशुद्ध रूप से राजनीतिक दबाव में की गई है। राकांपा विधायकों की सुरक्षा में तैनात उक्त वाहनों को तत्काल वापस लेकर निर्भया दस्ते को वापस भेजने की मांग करती है। पुलिस अधिकारी ने दावा किया कि जून में वाहनों की खरीद के बाद उन्हें जुलाई में सभी 97 पुलिस थानों, साइबर, यातायात और तटीय पुलिस इकाइयों को सौंप दिया गया। इन वाहनों में से 47 बोलेरो, मुंबई पुलिस के मोटर परिवहन विभाग द्वारा राज्य पुलिस के वीआईपी सुरक्षा अनुभाग के एक आदेश के बाद कई पुलिस थानों से मांगे गए थे, जिसमें कहा गया था कि शिंदे गुट के सांसदों और विधायकों की ‘वाई-प्लस’ सुरक्षा मुहैया कराने के लिए इन वाहनों की आवश्यकता है। हालांकि, 17 वाहनों को आवश्यकता पूरी होने के बाद पुलिस थानों में वापस कर दिया गया। 30 बोलेरो अभी तक वापस नहीं आई हैं।
कांग्रेस ने महिला सुरक्षा का मुद्दा उठाया
मामले के खुलासे के बाद विपक्षी दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने सवाल किया कि क्या सत्तारूढ़ विधायकों की सुरक्षा महिलाओं की सुरक्षा से अधिक महत्वपूर्ण है। कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने पूछा कि क्या सत्तारूढ़ विधायकों की सुरक्षा महिलाओं को दुर्व्यवहार से बचाने से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है? निर्भया कोष का इस्तेमाल विधायकों की सुरक्षा के लिए किया जाना भयावह और अपमानजनक है।
निर्भया फंड की गाड़ियों से विधायकों को सुरक्षा देने के आरोप पर बवाल, NCP ने डीजीपी को लिखी चिट्ठी
113