#BREAKING LIVE :
मुंबई हिट-एंड-रन का आरोपी दोस्त के मोबाइल लोकेशन से पकड़ाया:एक्सीडेंट के बाद गर्लफ्रेंड के घर गया था; वहां से मां-बहनों ने रिजॉर्ट में छिपाया | गोवा के मनोहर पर्रिकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरी पहली फ्लाइट, परंपरागत रूप से हुआ स्वागत | ‘भेड़िया’ फिल्म एक हॉरर कॉमेडी फिल्म | शरद पवार ने महाराष्ट्र के गवर्नर पर साधा निशाना, कहा- उन्होंने पार कर दी हर हद | जन आरोग्यम फाऊंडेशन द्वारा पत्रकारो के सम्मान का कार्यक्रम प्रशंसनीय : रामदास आठवले | अनुराधा और जुबेर अंजलि अरोड़ा के समन्वय के तहत जहांगीर आर्ट गैलरी में प्रदर्शन करते हैं | सतयुगी संस्कार अपनाने से बनेगा स्वर्णिम संसार : बीके शिवानी दीदी | ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में आरती त्रिपाठी हुईं सम्मानित | पत्रकार को सम्मानित करने वाला गुजरात गौरव पुरस्कार दिनेश हॉल में आयोजित किया गया | *रजोरा एंटरटेनमेंट के साथ ईद मनाएं क्योंकि वे अजमेर की गली गाने के साथ मनोरंजन में अपनी शुरुआत करते हैं, जिसमें सारा खान और मृणाल जैन हैं |

पंडित मिश्रा की कथा का असर दिल्ली-मुंबई की ट्रेनों पर, जमीन पर बैठ यात्री कर रहे सफर

87

उज्जैन में चल रही पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण की कथा का असर ट्रेनों पर भी नजर आ रहा है। इंदौर से उज्जैन होकर गुजरने वाली दिल्ली, पुणे, मुंबई की सभी ट्रेनें फुल चल रही हैं। टिकट कंफर्म नहीं होने के चलते यात्री नीचे बैठकर सफर कर रहे हैं। स्लीपर और एसी कोच यात्री क्षमता के हिसाब से फुल नजर आ रहे हैं। दोनों ही कोचों में यात्रियों को ज़मीन पर बैठकर यात्रा करना पड़ रहा है। दरअसल, इंदौर से मुंबई, पुणे और दिल्ली जाने वाली ट्रेनें उज्जैन, नागदा, रतलाम और कोटा से होकर गुज़रती हैं। इन दोनों ट्रेनों में सफर करने वाले महज 10 फीसदी यात्री ही इंदौर से सवार होते हैं, बाकी 90 फीसदी यात्री उज्जैन से सवार होते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह श्रीमहाकाललोक कॉरिडोर है। उज्जैन दर्शन करने वाले अधिकांश यात्री उज्जैन स्टेशन से ही सवार होते हैं। इसी वजह से ये ट्रेनें रविवार और छुट्टियों के दिनों में भी फुल नजर आती हैं। इन दिनों उज्जैन में पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा चल रही है। कथा सुनने के लिए उज्जैन के अलावा इंदौर, नागदा, धार, देवास, रतलाम और कोटा के लोगों के अलावा दिल्ली और मथुरा से भी लोग पहुंच रहे हैं। दोपहर में कथा के समापन के बाद ये सभी श्रद्धालु इन शहरों की तरफ जाने वाली ट्रेनों में सवार हो जाते हैं। जिससे ट्रेनों के सभी कोच में भीड़ बढ़ जाती है। इनमें से अधिकांश लोग बिना टिकट के स्लीपर कोच में सवार होते हैं।

1 Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *