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पीसीएम परीक्षा को लेकर विरोध प्रदर्शन का आज चौथा दिन, अभ्यर्थियों ने प्रयागराज में तोड़े बैरिकेड

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‘यूपीपीएससी की पीसीएस और आरओ-एआरओ की प्रारंभिक परीक्षा एक ही दिन और एक ही पाली में होनी चाहिए, तथा मूल्यांकन के लिए नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूले का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए…’ अपनी इसी मांग को लेकर सोमवार, 11 नवंबर को अभ्यर्थियों द्वारा शुरू किए गए विरोध प्रदर्शन का आज चौथा दिन है। उम्मीदवार अभी भी अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। कुछ तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें छात्रों के बड़े समूह प्रयागराज में बैरिकेड्स तोड़कर आयोग के गेट नंबर 2 पर पहुंच गए और दो दिनों में परीक्षा आयोजित करने के यूपीपीएससी के फैसले का विरोध किया। इस बीच प्रयागराज पुलिस ने दावा किया है कि कुछ आपराधिक तत्व छात्रों के विरोध प्रदर्शन में घुसपैठ कर चुके हैं और उन्हें गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। प्रदर्शन की चिंगारी अब अन्य शहरों में भी फैलने लगी है। बृहस्पतिवार दोपहर को अभ्यर्थियों ने बाराबंकी शहर में जोरदार प्रदर्शन किया। शहर से गुजरे लखनऊ-अयोध्या हाईवे पर एकत्र छात्र, बैनर, पोस्टर और तख्ती लिए छात्र एकता जिंदाबाद और एक ही शिफ्ट में परीक्षा कराने के जोरदार नारे लगा रहे थे। छात्रों की मांग है कि एक दिन में एक शिफ्ट में ही पीसीएस प्री 2024 और आरओ और एआरओ प्री की परीक्षाएं कराई जाएं। दो दिन की परीक्षा में अलग-अलग शिफ्ट में शामिल होने वाले परीक्षार्थियों के एक समान मूल्यांकन के लिए आयोग ने नॉर्मलाइजेशन (मानकीकरण) को लागू कर दिया, लेकिन आयोग ने यह स्पष्ट नहीं किया कि यह फॉर्मूला काम कैसे करेगा। अभ्यर्थियों का कहना है कि आयोग ने पसेंटाइल स्कोर निकालने का फॉर्मूला तो बता दिया लेकिन नॉर्मलाइजेशन कैसे करेंगे। यह फॉर्मूला वैज्ञानिक रूप से कारगर है या नहीं, इस बात पर भी संदेह है। जिन परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन लागू किया गया, ये परीक्षाएं हमेशा विवादों में रहीं हैं।प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि अगर पर्याप्त संख्या में केंद्र न मिलने के कारण दो दिन परीक्षा कराने और एक समान मूल्यांकन के लिए नॉर्मलाइजेशन लागू करने की कोई मजबूरी है तो इसका भी समाधान है। प्रश्नपत्रों की सुरक्षा के मद्देनजर जिस शासनादेश के तहत केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया को सख्त बनाया गया है और निजी स्कूल-कॉलेजों को परीक्षा केंद्र बनाया गया है, उस शासनादेश में संशोधन भी किया जा सकता है।

प्रश्नपत्रों की सुरक्षा की जिम्मेदारी शासन की

सरकारी मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, विश्वविद्यालयों, पॉलीटेक्निक को भी परीक्षा केंद्र बनाया जा सकता है। वैसे भी प्रश्नपत्रों की सुरक्षा और परीक्षा कराने की जिम्मेदारी शासन की है तो छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है। इसकी क्या गारंटी की दो दिन परीक्षा कराने में पेपर लीक नहीं होगा।छात्रों ने विरोध प्रदर्शन के दूसरे दिन आयोग की शव यात्रा निकालकर विरोध किया। आंदोलन के चलते राजनीतिक सरगर्मी भी तेज हो गई है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी ट्वीट कर प्रतियोगी छात्रों की मांग को जायज बताया है। इसके बाद प्रशासन और आयोग पर आंदोलन को खत्म कराने का दबावबढ़ गया है। आयोग के सचिव अशोक कुमार ने कहा कि अभ्यर्थी किसी तरह के भ्रम में न रहें। परीक्षा अपनी नियत तिथि सात और आठ दिसंबर को ही होगी। अभ्यर्थी परीक्षा की तैयारी करें।