बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। 2022 में बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध के 1,823 मामले दर्ज किए गए। यह पिछले वर्ष की तुलना में 32 फीसदी अधिक थे। 2021 में इस तरह के मामलों की कुल संख्या 1,376 थी। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार साइबर पोर्नोग्राफी, अश्लील यौन सामग्री होस्ट करने या प्रकाशित करने के 1,171 मामले, साइबर स्टॉकिंग या धमकाने के 158 मामले और अन्य प्रकृति के बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध के 416 मामले दर्ज किए गए। विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड महामारी के दौरान जब दुनिया भर के करोड़ों बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने के लिए मजबूर हुए थे तभी इस दुर्भाग्यपूर्ण प्रवृत्ति को बल मिला। रिपोर्ट के अनुसार बच्चों के लिए ऑफलाइन व्यवस्था भी सुरक्षित नहीं है। 2022 में बच्चों के खिलाफ 1,62,449 अपराध दर्ज किए गए। यानी पिछले साल हर घंटे बच्चों के खिलाफ औसतन 18 अपराध हुए। 2021 की तुलना में बच्चों के खिलाफ अपराधों में 9% की वृद्धि हुई।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध में 400 फीसदी की वृद्धि हुई। इस दौरान कुल 842 मामले सामने आए, जिनमें में से 738 मामले यानी 90% यौन कृत्यों से जुड़े थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध में 400 फीसदी की वृद्धि हुई। इस दौरान कुल 842 मामले सामने आए, जिनमें में से 738 मामले यानी 90% यौन कृत्यों से जुड़े थे।
महाराष्ट्र के बाद दिल्ली में सबसे अधिक केस
विश्लेषण से पता चला कि बच्चों के खिलाफ होने वाले सभी अपराधों में से लगभग आधे पांच राज्यों में हैं। इनमें महाराष्ट्र में 12.8, मध्य प्रदेश में 12.6, उत्तर प्रदेश में 11.5, राजस्थान में 5.8 और पश्चिम बंगाल में 5.5 फीसदी हैं। अपराध दर यानी प्रत्येक एक लाख की आबादी पर अपराध के मामलों की संख्या दिल्ली में सबसे अधिक थी। इंटरनेट को फिर से बच्चों के लिए एक सुरक्षित स्थान बनाने और अपराधियों पर कड़ी नजर रखने के लिए एक मजबूत और कठोर तंत्र की आवश्यकता है। आधुनिक जीवन शैली के लिए इसे लागू करना अत्यावश्यक है।
विश्लेषण से पता चला कि बच्चों के खिलाफ होने वाले सभी अपराधों में से लगभग आधे पांच राज्यों में हैं। इनमें महाराष्ट्र में 12.8, मध्य प्रदेश में 12.6, उत्तर प्रदेश में 11.5, राजस्थान में 5.8 और पश्चिम बंगाल में 5.5 फीसदी हैं। अपराध दर यानी प्रत्येक एक लाख की आबादी पर अपराध के मामलों की संख्या दिल्ली में सबसे अधिक थी। इंटरनेट को फिर से बच्चों के लिए एक सुरक्षित स्थान बनाने और अपराधियों पर कड़ी नजर रखने के लिए एक मजबूत और कठोर तंत्र की आवश्यकता है। आधुनिक जीवन शैली के लिए इसे लागू करना अत्यावश्यक है।