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‘बच्चों को फिल्मी दुनिया से दूर रखा है!’-शाहिद कपूर

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२०१९ में शाहिद कपूर की सुपरहिट फिल्म ‘कबीर सिंह’ के तीन वर्षों बाद उनकी नई फिल्म ‘जर्सी’ इन दिनों रिलीज हुई है। एक नामी स्टार के लिए ३ वर्षों का गैप होना अपने आप में मायने रखता है। बहरहाल, तेलुगू फिल्म की हिंदी रीमेक ‘जर्सी’ ने अच्छी-खासी लोकप्रियता हासिल की है। पेश है, शाहिद कपूर से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-

फिल्म ‘जर्सी’ को लोग इतना पसंद करेंगे, क्या इस बात की आपको उम्मीद थी?
बड़ी पुरानी कहावत है उम्मीद पर दुनिया कायम है। जब भी हम जिंदगी में आगे बढ़ते हैं, फिर चाहे वो डिग्री पाना हो, नई नौकरी हो, शादी करना हो या फिर पहली बार पिता बनने का अहसास हो, सब अच्छा ही होगा इसी विश्वास पर हम कायम होते हैं। जहां तक फिल्म इंडस्ट्री की बात है, यहां १०० में से ५० फिल्मों को पसंद किया जाता है। हर एक्टर सहित निर्माता-निर्देशक को यकीन होता है कि उनकी फिल्म को कामयाबी मिलेगी। मेरे मन में भी यह विश्वास था कि इसे पसंद किया जाएगा।

हिंदी में रीमेक बनाते समय इस फिल्म में कौन से बदलाव किए गए?
जब मैंने इस फिल्म का तेलुगू वर्सन देखा तो मैं रोमांचित हो उठा। मेरी सोच थी कि अगर साउथ में ये फिल्म इतनी पसंद की जा रही है, तो हिंदी में भी लोग इसे पसंद करेंगे। हर हिंदुस्थानी घर में पिता और बच्चों में प्यार होता ही है। यह कहानी मेरे दिल में गहराई तक प्रभाव छोड़ गई। हिंदी में फिल्म बनाते समय संवादों के साथ ही लोकेशन में बदलाव किया गया।

क्या आपके पास भी कोई ऐसी जर्सी है, जो आपके जीवन में बहुत मायने रखती है?
मेरे पास भी एक ऐसी ब्लू जर्सी है, जिसे मैंने बहुत संभालकर रखा है। ये वो जर्सी है जब इंडियन क्रिकेट टीम ने वर्ल्ड कप जीत लिया था। यह जर्सी बहुत प्रेरणा देती है कि हार, जीत में परिवर्तित हो सकती है। यह जज्बा है आखिर तक लड़ने का, जो हार नहीं मानते।

अपने पिता पंकज कपूर के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
बतौर एक्टर पापा बेहद संजीदा हैं। मेरी और उनकी बराबरी नहीं हो सकती। ये मेरा सौभाग्य है कि उनके साथ एक ही प्रâेम में कंधे-से-कंधा मिलाकर मैं फिल्म में काम कर सकूं। मेरे लिए पापा के साथ काम करना यादगार रहेगा। लॉकडाउन में पापा के साथ मैंने जितने गप्पे मारे शायद जिंदगी में कभी मारे होंगे। पापा पढ़ते बहुत हैं और उन्हें वर्ल्ड सिनेमा की जानकारी है इसीलिए उनके साथ बातचीत या गपशप करना मेरे लिए एक खास अनुभव होता है।

आपके बच्चे आपकी फिल्मों को देखकर कैसे रिएक्ट करते हैं?
फिलहाल हमने बच्चों को फिल्मी दुनिया और फिल्मों से दूर रखा है। बच्चे कार्टून देखते हैं। बच्चों की परवरिश और उनके संस्कार पर मीरा बहुत ध्यान देती है।

सुना है फिल्म ‘जर्सी’ को देखकर मीरा राजपूत रो पड़ी थीं?
‘जर्सी’ की कहानी और कलाकारों की परफॉर्मेंस को देखकर मीरा की आंखें छलछला उठीं। मीरा का रिएक्शन मेरे लिए बहुत मायने रखता है। फिल्म देखकर उसने मुझसे तुरंत कहा कि इस फिल्म को डेफिनेटली सराहा जाएगा और ऐसा ही हुआ।

क्या मीरा बॉलीवुड में डेब्यू करेंगी?
फिलहाल मीरा बच्चों की परवरिश में व्यस्त है। वैसे भी उसे अभिनय में आने का कोई शौक नहीं है

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