मुंबई, बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार को महामारी के दौरान लागू कोविड-19 प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने वाली राजनीतिक रैलियों को रोकना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ ने पूछा कि कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए बड़ी सभाओं पर रोक के बावजूद इस महीने की शुरुआत में नवी मुंबई में एक हवाई अड्डे के नाम को लेकर आयोजित रैली सहित ऐसी रैलियों की अनुमति कैसे दे दी गई। पीठ ने कहा कि अगर राज्य भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने में असमर्थ रही, तो अदालत को दखल देना पड़ेगी और ऐसी किसी भी राजनीतिक रैली पर रोक लगानी होगी।
उच्च न्यायालय ने राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी से कहा, ‘आपको (महाराष्ट्र सरकार) कोविड-19 प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने वाली किसी भी राजनीतिक रैली को रोकने के लिए अपने तंत्र को सक्रिय करना होगा।’
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘अगर आप इसे संभाल नहीं सकते हैं, तो इसे अदालत को करने दें। हम ऐसा नहीं होने देंगे। हम अदालतें बंद कर रहे हैं, हम (महामारी के मद्देनजर राज्य की ओर से लागू प्रोटोकॉल और प्रतिबंधों का पालन करने की वजह से) पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रहे हैं और फिर भी, ये राजनीतिक नेता रैलियों का आयोजन कर रहे हैं?’
पिछले हफ्ते, हजारों लोगों ने सीबीडी बेलापुर इलाके में प्रदर्शन किया था। उनकी मांग की थी कि निर्माणाधीन नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम स्थानीय नेता दिवंगत डीबी पाटिल के नाम पर रखा जाए। उन्होंने हवाई अड्डे का नाम शिवसेना के दिवंगत प्रमुख बाल ठाकरे के नाम पर रखने के फैसले को रद्द करने की मांग की।
विरोध रैली का जिक्र करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि हवाई अड्डा अभी तैयार भी नहीं है, लेकिन लोग इसके संभावित नाम पर राजनीतिक फायदे के लिए रैलियां आयोजित कर रहे हैं।
उच्च न्यायालय ने पूछा , ‘हमने सोचा था कि अधिकतम 5,000 लोग होंगे। यह पता चला कि (रैली में) 25,000 लोग थे। क्या ये कोविड-19 के खत्म होने तक इंतजार नहीं कर सकते हैं?’
बॉम्बे हाई कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार, कहा- ‘कोरोना के दौरान राजनीतिक रैलियों को रोका जाए’
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