ओडिशा में श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने शनिवार को पुरातत्व विभाग को पत्र लिखा है। इस पत्र में मंदिर प्रशासन ने मांग की है कि भगवान जगन्नाथ के रत्न भंडार का निरीक्षण और रत्न भंडार की मरम्मत शुरू कराने का आग्रह किया है। मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक अरविंद पाधी ने पुरातत्व विभाग के महानिदेशक को भेजे पत्र में अपील की है कि रत्न भंडार की स्कैनिंग और आधुनिक तकनीक से जांच शुरू की जाए। साथ ही रत्न भंडार के अंदरूनी और बाहरी चैंबर्स के मरम्मत का काम भी कराया जाए। मंदिर समिति ने पुरातत्व विभाग से अपील की है कि जांच का काम आईआईटी या सीबीआरआई जैसे संस्थानों से कराया जाए। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि इस जांच का 12वीं सदी के मंदिर पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े। एक बार जरूरी सर्वेक्षण हो जाने के बाद मरम्मत का काम भी कराया जाए। गौरतलब है कि शुक्रवार को रत्न भंडार की सभी सात खाली तिजोरी और अलमारियों को मंदिर परिसर में ही स्थित निलाद्री विहार संग्रहालय में स्थानांतरित करा दिया गया है। रत्न भंडार के आभूषणों और अन्य कीमती सामान को जुलाई में ही मंदिर के ही स्ट्रॉन्ग रूम में रखवा दिया गया है। स्ट्रॉन्ग रूम को सील कर दिया गया है। भगवान जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को 46 साल बाद खोला गया। सभी कीमती सामान और तिजोरियों को न्यायमूर्ति बिस्वनाथ रथ की मौजूदगी में स्थानांतरित कराया गया। पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी कराई गई।
विधानसभा चुनाव में गरम रहा था रत्न भंडार का मुद्दा
ओडिशा हाईकोर्ट ने साल 2018 में राज्य सरकार को रत्न भंडार खोलने के लिए निर्देश दिए थे। हालांकि, 4 अप्रैल 2018 को कोर्ट के आदेश पर जब 16 लोगों की टीम रत्न भंडार के चेंबर तक पहुंची तो उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा, क्योंकि ये दावा किया गया कि रत्न भंडार की चाबी खो गई है। चाबी नहीं मिली तो हंगामा हुआ जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने 4 जून 2018 को न्यायिक जांच के आदेश दिए। जांच कमेटी ने 29 नवंबर 2018 को चाबी से जुड़ी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी, लेकिन सरकार ने इसे सार्वजनिक नहीं किया और चाबी का कुछ पता नहीं चल सका। विधानसभा चुनाव में रत्न भंडार खोलने का मुद्दा गरम रहा और भाजपा ने एलान किया कि उनकी सरकार बनते ही रत्न भंडार को खोला जाएगा। वादे के मुताबिक भाजपा ने विधानसभा चुनाव में जीत के तुरंत बाद ही रत्न भंडार खोल दिया और अब आभूषणों की गिनती की जानी है।