दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और विपक्ष के सात अन्य दलों के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी। इसमें केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के आरोप लगाए गए। इस पर अब भाजपा ने पलटवार किया है। भाजपा ने कहा कि आरोप लगाने वाली वह पार्टियां हैं, जिन्होंने संवैधानिक पदों पर बैठकर भ्रष्टाचार को अपना अधिकार मान लिया। आज उस अधिकार से उपजा हुआ अहंकार इस सीमा तक पहुंच गया है कि वो जांच से भी इनकार कर रहे हैं। दुखद है कि जांच एजेंसियों और देश की व्यवस्थाओं को धमकाने का प्रयास किया जा रहा है। भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि आज हम उस पार्टी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से निपट रहे हैं, जिसने भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से अपनी यात्रा शुरू की थी। आम आदमी पार्टी के सदस्यों का कहना था कि भ्रष्टाचार के आरोपों के मामले में इस्तीफा देना पहला कदम होना चाहिए, बाद में जांच की जानी चाहिए और आज वे जांच एजेंसियों को नकार रहे हैं। उन पर आरोप लगा रहे हैं। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि लोकमान्य तिलक ने स्वराज की क्रांति शुरू की थी, लेकिन उन्होंने यह नहीं सोचा होगा कि भविष्य में ऐसी पार्टियां होंगी, जो कहेंगी कि भ्रष्टाचार उनका सत्तासिद्ध अधिकार है। उन्हें लगता है कि भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच से बचना उनका अधिकार है। इससे पहले विपक्ष के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग पर देश के नौ विपक्षी दलों के शीर्ष नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी को एक चिट्ठी लिखी थी। पत्र में नेताओं ने केद्रीय जांच एजेंसियों (ईडी-सीबीआई और अन्य एजेंसियां) के खुलेआम दुरूपयोग की निंदा की थी। पत्र दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी और कई विपक्षी नेताओं के खिलाफ ईडी-सीबीआई की छापेमारी के मद्देनजर लिखा गया था। पत्र पर के. चंद्रशेखर राव (बीआरएस), फारूक अब्दुल्ला (जेकेएनसी), ममता बनर्जी (तृणमूल कांग्रेस), शरद पवार (एनसीपी), अरविंद केजरीवाल (आप), उद्धव ठाकरे (शिवसेना, यूबीटी), भगवंत मान (आप), अखिलेश यादव (सपा) और तेजस्वी यादव (आरजेडी) के हस्ताक्षर थे।
भाजपा का विपक्ष पर पलटवार, कहा- ऐसी पार्टियां भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच से बचने को अधिकार मानती हैं
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