शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने के चलते पहले ही विपक्ष के निशाने पर चल रही महाराष्ट्र सरकार, अब अपने ही स्वास्थ्य मंत्री के बयान से फिर से घिर गई है। दरअसल महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत ने अपने एक बयान में कहा कि ‘उन्हें एनसीपी के मंत्रियों के बगल में बैठने पर उल्टी जैसा महसूस होता है’। इसे लेकर शरद पवार की पार्टी एनसीपी एसपी ने तंज कसा है। एनसीपी एसपी ने कहा कि ‘अब भाजपा के लिए एनसीपी को महायुति गठबंधन से निकालने का समय आ गया है’। महाराष्ट्र में भाजपा, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति की साझेदार हैं। एनसीपी (एसपी) के प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने कहा कि ‘सावंत की टिप्पणी से पता चलता है कि महायुति को अब एनसीपी की जरूरत नहीं है। आरएसएस के मुखपत्र ने भी भाजपा से पूछा था कि उन्होंने अजित पवार के साथ गठबंधन क्यों किया। भाजपा कैडर भी यही सवाल पूछ रहे हैं।’ क्रैस्टो ने कहा कि अब शिंदे सेना के नेता अपमानजनक बातें कह रहे हैं, जैसे कि ‘एनसीपी नेताओं के बगल में बैठने पर उन्हें उल्टी जैसा महसूस होता है’। क्रैस्टो ने कहा कि ‘अब समय आ गया है जब भाजपा धीरे-धीरे अजित पवार की पार्टी को गठबंधन से बाहर निकाल देगी। गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है और दरारें दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं।’ क्रैस्टो ने कहा, ‘अजित पवार के लिए अब जागने और हालात को समझने का समय आ गया है।’ गुरुवार को एक कार्यक्रम में बोलते हुए महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री सावंत ने कहा कि ‘वह कट्टर शिव सैनिक हैं और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेताओं के साथ उनकी कभी नहीं बनी।’ सावंत ने कहा, ‘भले ही हम कैबिनेट में एक-दूसरे के बगल में बैठें, लेकिन बाहर आने के बाद मुझे उल्टी जैसा महसूस होता है।’
‘अजित पवार ने अपना आत्मसम्मान खो दिया है’
एनसीपी (एसपी) के एक अन्य प्रवक्ता महेश तपासे ने दावा किया कि अजित पवार ने अपना आत्म-सम्मान खो दिया है और एनसीपी के साथ गठबंधन को लेकर शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के भीतर असंतोष बढ़ रहा है। तपासे ने कहा, ‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि अजीत दादा, जिन्हें कभी एनसीपी में बहुत सम्मान मिला था, सत्ता के लिए अपने आत्मसम्मान से समझौता करेंगे।’ तपासे ने कहा, “मंत्री तानाजी सावंत के बयान ने अजीत दादा की राजनीतिक स्थिति को कमजोर किया है, लेकिन फिर भी उनकी अपनी पार्टी के सदस्य चुप हैं।’ तपासे ने आगे दावा किया कि मौजूदा हालात को देखते हुए, एनसीपी महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों में 25 सीटें भी हासिल नहीं कर सकती है, और इसी हताशा के कारण ऐसा अपमानजनक व्यवहार हुआ है।