भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सेमीकंडक्टर क्षेत्र की अहमियत बताते हुए कहा है कि आने वाले समय में भू-राजनीति में देशों के समीकरणों में सेमीकंडक्टर की भूमिका बेहद अहम रहेगी। विदेश मंत्री ने नई दिल्ली में भारत-जापान फोरम के उद्घाटन सत्र में शिरकत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि ‘जापान आज अपने सेमीकंडक्टर क्षेत्र को पुनर्जीवित कर रहा है और भारत भी बहुत लंबे समय की उपेक्षा के बाद सेमीकंडक्टर मिशन पर काम कर रहा है।’ जयशंकर ने कहा कि हम दोनों देश ताइवान के साथ मिलकर भी काम कर रहे हैं। मैं इसे बहुत ही महत्वपूर्ण शुरुआत मानता हूं। यह बहुत महत्वपूर्ण क्षेत्र है जो आने वाले दशक में भू-राजनीतिक स्तर पर बहुत महत्वपूर्ण होगा। सेमीकंडक्टर सहयोग की संभावनाएं बहुत ज्यादा होंगी। हम भारत में अपनी उच्च शिक्षा प्रणाली में सुधार कर रहे हैं। इससे गुणवत्ता में सुधार होगा।
जापान के साथ संबंध बेहतर, लेकिन…
विदेश मंत्री ने भारत और जापान के संबंधों पर कहा कि दोनों देशों के बीच कभी कोई समस्या नहीं रही है, लेकिन समस्याएं न होने का मतलब यह नहीं है कि सब कुछ ठीक चल रहा है। आज भारतीयों में विदेशी पर्यटन के प्रति रुचि बढ़ रही है। हम हर साल 10-15 प्रतिशत की वृद्धि के साथ पासपोर्ट जारी कर रहे हैं। हम हर साल लगभग एक से डेढ़ करोड़ पासपोर्ट जारी कर रहे हैं और ये 10 साल की वैधता वाले हैं, लेकिन हमने अभी तक जापान में ऐसा कुछ नहीं देखा है। अगर आप दक्षिण-पूर्व एशिया, सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड, खाड़ी देश, यूरोप को देखें, तो वहां बड़ी संख्या में भारतीय पर्यटक जा रहे हैं।
चीन के साथ संबंधों पर ये बोले विदेश मंत्री
विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत और जापान, दोनों ही चीन के पड़ोसी देश हैं। हमारे साथ चीन के संबंध स्थिर थे और दोनों देशों का व्यापार भी बढ़ रहा था। हालांकि दोनों देशों के बीच असंतुलित व्यापार मुद्दा बना हुआ है। चीन ने भारत में निवेश भी किया है, लेकिन दोनों देशों के संबंध तभी तक स्थिर रह सकते हैं, जब तक सीमा पर शांति रहेगी। साल 2020 में भारत चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें कई सैनिक बलिदान हुए। इससे रिश्ते प्रभावित हुए और सेनाओं को पीछे हटने में साढ़े चार साल का वक्त लग गया। अभी भी कई मुद्दों पर सहमति बननी बाकी है। हमें चीन के साथ बैठकर चर्चा करनी होगी कि हम अपने संबंधों को कैसे फिर से बेहतर कर सकते हैं। विदेश मंत्री ने क्वाड के लिए ट्रंप प्रशासन को श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि साल 2017 में ट्रंप सरकार के कार्यकाल में ही क्वाड की उप-मंत्री स्तर की बातचीत शुरू हुई थी। इसके बाद 2019 में जब विदेश मंत्री स्तर की बातचीत शुरू हुई, तब भी डोनाल्ड ट्रंप ही अमेरिका के राष्ट्रपति थे। इसलिए क्वाड के उभार के लिए ट्रंप प्रशासन को श्रेय दिया जाना चाहिए।