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महाराष्ट्र का घी देखा, कोल्हापुर का ‘जोड़ा’ नहीं देखा! उद्धव ठाकरे की राज्यपाल कोश्यारी को चेतावनी

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 मुंबई
गुजराती और मारवाड़ी लोग मुंबई से चले जाएं तो यहां पैसा नहीं रहेगा और आर्थिक राजधानी के तौर पर मुंबई की पहचान नहीं बचेगी। ऐसा बयान देकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने फिर एक बार महाराष्ट्र का अपमान किया है। राज्यपाल के इस बयान को लेकर जन आक्रोश भड़क उठा है। हर स्तर पर उनका विरोध जारी है। शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी राज्यपाल के विवादित बयान पर कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने यह कहते हुए कोश्यारी को चेताया है कि ‘महाराष्ट्र का घी देखा, कोल्हापुर का जोड़ा नहीं देखा!’ महाराष्ट्र में जाति-धर्म की फूट डालनेवाले राज्यपाल कोश्यारी का पार्सल घर भेजा जाए की जेल भेजा जाए? ऐसा सीधा सवाल भी उन्होंने राज्य की जनता से पूछा है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बयान को लेकर पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने आवास ‘मातोश्री’ पर कल प्रेस वार्ता आयोजित की थी। ‘जय हिंद, जय महाराष्ट्र’ कहकर उपस्थित लोगों का अभिवादन करते हुए उन्होंने राज्यपाल कोश्यारी की जमकर खबर ली। उन्होंने कहा कि राज्यपाल कोश्यारी ने इससे पहले सावित्रीबाई फुले के बारे में आपत्तिजनक बयान दिए थे। अब मराठी लोगों का अपमान किया है। महाराष्ट्र के ही नसीब में ऐसे लोग क्यों आते हैं? यहां का नमक खाकर कोश्यारी ने महाराष्ट्र के साथ नमक हरामी की है। महाराष्ट्र की संस्कृति और परंपरा का हवाला देते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि ‘महाराष्ट्र में सुंदर गुफाएं, पहाड़, शिवराय के गढ़-किले, पैठणी और मराठी खाद्य पदार्थ हैं। महाराष्ट्र की सभी अच्छी परंपराओं और अच्छी चीजों को पिछले ढाई-तीन वर्षों में राज्यपाल कोश्यारी ने देखा होगा। कोल्हापुरी चप्पलें भी विश्व प्रसिद्ध हैं, वह भी उन्हें दिखाने की जरूरत है, क्योंकि वह भी महाराष्ट्र की शान है।’

राज्यपाल कभी हिलते हैं… कभी अजगर जैसे सुस्त पड़ जाते हैं
राज्यपाल ने अपने बयान पर खेद जताया है। इसके जवाब में शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि राज्यपाल के मुख से वह बयान ऐसे ही नहीं आया है। क्योंकि कभी वे पूरी तत्परता के साथ हिलते हुए नजर आते हैं तो कभी अजगर की तरह सुस्त पड़े रहते हैं। उनका यह बर्ताव विधान परिषद के लिए राज्यपाल कोटे से १२ नामों को मंजूरी देने के मामले में सामने आ चुका है। विधान परिषद की राज्यपाल कोटे की सीटें भरने के लिए ऐसा नहीं लगा कि राज्यपाल कोश्यारी को दिलचस्पी है। उद्धव ठाकरे ने तंज कसा कि इस बारे में उन्हें राष्ट्रपति को भी बता देना चाहिए ताकि इसके आगे राज्यपाल कोटे के सदस्यों की नियुक्ति न की जाए, ऐसा प्रावधान वे कर देंगे। उद्धव ठाकरे ने कहा कि राज्यपाल कोश्यारी के भाषण दिल्ली से आते हैं या दिल्ली के पेट से उनके होंठ पर आते हैं। यह भी एक शोध का विषय है। महाराष्ट्र में साधु-संतों की परंपरा है। महाराष्ट्र और मराठी लोगों को पूरी दुनिया जानती है। लेकिन महाराष्ट्र के राज्यपाल पद पर बैठे भगत सिंह कोश्यारी को इसकी जानकारी नहीं है। उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र से द्वेष रखनेवालों को याद दिलाया कि मराठी लोगों को मुंबई (दान) में नहीं मिली है। संयुक्त महाराष्ट्र की लड़ाई में रक्त बहाकर मुंबई को अधिकार से प्राप्त किया गया है। उन्होंने कहा कि संयुक्त महाराष्ट्र के संघर्ष में १०५ शहीद हुए लेकिन यह संख्या दो सौ के करीब है। उस दौरान रिपोर्टिंग इंडिया के लिए एक विदेशी पत्रकार ने अपनी रिपोर्ट में इसका जिक्र किया है। जब वे अस्पताल गए तो उन्होंने अपने सामने दो सौ से ढाई सौ लाशें देखी थीं। मुंबई के लिए कुछ लोगों ने उस फायरिंग में अपनी जान कुर्बान कर दी थी।

राज्यपाल ने हिंदुओं में डाली फूट
उद्धव ठाकरे ने इस मौके पर कहा कि राज्यपाल कोश्यारी ने मराठी लोगों और मराठी अस्मिता का अपमान करके जनभावना को भड़का दिया है। राज्यपाल ने जाति-धर्म से ऊपर उठकर सबका खयाल रखने और सबके साथ समान व्यवहार करने की शपथ ली थी। अब अगर उन्होंने अपने कर्तव्य का उल्लंघन किया है, तो उनके खिलाफ कौन-सा अपराध दर्ज किया जाना चाहिए? राज्यपाल ने न केवल मराठी लोगों का अपमान करके अपराध किया है, बल्कि हिंदुओं में फूट डालने का भी अपराध किया है। शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि राज्यपाल एक बड़ा सम्मानित पद है। राज्यपाल पद का अपमान मैं नहीं करना चाहता हूं। लेकिन लगातार महाराष्ट्र और मराठी लोगों का अपमान करनेवाले व्यक्ति का कब तक मान-सम्मान और आदर रखा जाए। यह सवाल भी उठने लगा है। उन्होंने कहा कि जब पूरा राज्य कोरोना महामारी से लड़ रहा था और लॉकडाउन में लोग मर रहे थे, तब राज्यपाल को इस बात की जल्दबाजी थी कि सभी धार्मिक स्थलों को फिर से खोल दिया जाए। मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी कहा जाता है। महाराष्ट्र, खासकर मुंबई और ठाणे से गुजराती व राजस्थानी लोग चले गए तो आस-पास के क्षेत्रों में कुछ पैसा नहीं बचेगा। देश की आर्थिक राजधानी के तौर पर मुंबई की पहचान नहीं रहेगी। ऐसा विवादित बयान राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने दिया। इस बीच राज्यपाल ने अपने बयान पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि केवल गुजराती और राजस्थानी लोगों द्वारा कारोबार में दिए गए योगदान के बारे में मैंने बोला था। मराठी लोगों ने ही अपने योगदान से महाराष्ट्र को खड़ा किया है, इसीलिए आज कई मराठी उद्यमी उभरे हैं।

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