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महाराष्ट्र में पालघर जैसी हिंसा टली, बच्चा चोर समझकर ग्रामीणों ने दो साधुओं को घेरा

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महाराष्ट्र के पालघर जिले में दो साधुओं को लोगों ने बच्चा पकड़ने वाला समझ लिया, जिसके बाद हिंसा की स्थिती हो गई। पुलिस ने सही समय पर पहुंचकर मामले को संभाल लिया। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। पालघर के ग्रामीण पुलिस अधीक्षक बालासाहेब पाटिल ने बताया कि रविवार सुबह करीब 11.30 बजे वनगांव थाना क्षेत्र के चंद्रनगर गांव में दो साधु को लोगों ने देखा। उन्होंने समझा कि ये लोग बच्चा चुराने आए हैं। कुछ ही समय में भीड़ जमा हो गई। स्थिती को बिगड़ते हुए देखकर एक ग्रामीण ने पुलिस को फोन कर जानकारी दी। पुलिस तुरंत मौके पर पहुंच गई और ग्रामीणों को शांत कराया। बाद में दोनों साधुओं को पुलिस स्टेशन ले जाया गया और उनसे पूछताछ की। दोनों ने बताया कि वह यवतमाल जिले के रहने वाले हैं। भीख मांगने के लिए अलग-अलग जाते हैं। बता दें, अप्रैल 2020 में जिले के गढ़चिंचल गांव में लिंचिंग के बाद जनसंवाद पहल शुरू की गई थी। इसी के कारण आज इस हिंसा को टाला जा सका। दरअसल, इस पहल के तहत पुलिसकर्मी गांवों का दौरा कर स्थानीय लोगों से बातचीत करते हैं। अधिकारी ने बताया कि प्रत्येक गांव में एक पुलिसकर्मी भी तैनात किया है जो स्थानीय लोगों के साथ बातचीत करता है और मौके पर ही उनकी कई समस्याओं को हल करता है। कुछ मामलों को उच्चाधिकारियों के पास भेजा जाता है। महाराष्ट्र में साधुओं को बच्चा चोर समझने की ये पहली घटना नहीं है। साल 2020 में महाराष्ट्र के पालघर जिले के गढचिंचाले गांव में दो साधुओं की एक भीड़ ने इसी वजह से पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। वो साधु कार में बैठकर सूरत में एक अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने जा रहे थे।

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