मुंबई, महाराष्ट्र में राजनीतिक भूंकप के बीच एक और बहुत बड़ी खबर सामने आ रही है. एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपने करीबी विधायकों के माध्यम से एक तीन सूत्री प्रस्ताव भेजा है.
यह प्रस्ताव पूर्व मंत्री संजय राठोड़ ने सीएम के वर्षा बंगले में जाकर सुनाया है. इस प्रस्ताव के तीन सूत्रों में पहला सूत्र है कि शिवसेना एक बार फिर बीजेपी के साथ सरकार बनाए. दूसरा सूत्र यह कि देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री के तौर पर स्वीकार किए जाएं और तीसरा यह कि एकनाथ शिंदे को उप मुख्यमंत्री के पद के लिए शिवसेना सहमत हो जाए. संजय राठोड़ ने यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री को दे दिया है.
शिवसेना की ओर से यह प्रस्ताव लेकर संजय राठोड़ के साथ दादा भुसे और संजय बांगर वर्षा बंगले में पहुंचे. इसके बाद शिवसेना और सीएम उद्धव ठाकरे की ओर से भी दो नेता सूरत की ओर निकल गए हैं. सीएम उद्धव ठाकरे का संदेश लेकर मिलिंद नार्वेकर और रवींद्र फाटक सूरत गए हैं. दो घंटे पहले ही ये दोनों नेता सूरत की ओर निकले हैं. एकनाथ शिंदे ने साफ चेतावनी दी है कि इसके बाद किसी भी तरह की स्थिति में कांग्रेस और एनसीपी के साथ शिवसेना सरकार ना बनाए.
एकनाथ शिंदे के प्रस्ताव को शिवसेना मानती है तो क्या होगा?
अगर शिवसेना एकनाथ शिंदे के प्रस्ताव को मान लेती है तो ठाकरे सरकार तुरंत अल्पमत में आ जाएगी. इसके बाद बीजेपी राज्यपाल के पास जाएगी. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी महा विकास आघाड़ी सरकार को बहुमत साबित करने के लिए कहेंगे. अल्पमत में होने की वजह से महा विकास आघाड़ी सरकार तुरंत गिर जाएगी. इसके बाद उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री नहीं रह जाएंगे. इसके बाद बीजेपी सरकार बनाने के लिए दावा करेगी. राज्यपाल बहुमत साबित करने को कहेंगे. शिवसेना और बीजेपी की एक बार फिर सरकार बनेगी. देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बनेंगे और एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम बनेंगे.
एकनाथ शिंदे के प्रस्ताव को शिवसेना नहीं मानती है तो क्या होगा?
अगर एकनाथ शिंदे के प्रस्ताव को शिवसेना नहीं मानती है तो शिवसेना टूट सकती है. सुबह खबर आई थी कि एकनाथ शिंदे के साथ उनके 13 समर्थक विधायक हैं. अब गुजरात बीजेपी के एक बड़े नेता ने दावा किया है कि एकनाथ शिंदे के साथ 13 नहीं बल्कि 35 विधायक हैं. अगर ऐसा है तो शिवसेना के 55 विधायकों में से आधा से ज्यादा विधायक शिवसेना से अलग हो जाएंगे. ऐसे में शिवसेना का दो भाग में टूटना तय हो जाएगा. शिवसेना ठाकरे सेना नहीं रह जाएगी बल्कि यह शिंदे सेना हो जाएगी.
उद्धव ठाकरे सरकार पर संकट छाई
उद्धव ठाकरे के सामने आगे कुआं है और पीछे खाई. अगर प्रस्ताव मानते हैं तो मुख्यमंत्री पद चला जाएगा और अगर प्रस्ताव नहीं मानते हैं तो पार्टी का अस्त्तित्व संकट में आ जाएगा. एकनाथ शिंदे के प्रस्ताव को ना मानने की हालत में एकनाथ शिंदे या तो अपने समर्थकों के साथ बीजेपी में शामिल हो सकते हैं या अपनी पार्टी बना सकते हैं. इस हालत में भी ठाकरे सरकार अल्पमत में आ जाएगी और फ्लोर पर अपना बहुमत साबित नहीं कर पाएगी. इस हालत में भी ठाकरे सरकार गिर जाएगी और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री नहीं रह जाएंगे. फिलहाल महाराष्ट्र की राजनीति और सत्ता का खेल क्या रंग लाएगी इस पर सबकी निगाहें टिकी हुई है।
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