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‘मित्र’ को दुनिया का दूसरा सबसे अमीर बनाने का ‘जादू’ छोटे व्यापारों पर क्यों नहीं, राहुल का सवाल

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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए गुरुवार को आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार के ‘मित्रकाल’ में 76 प्रतिशत सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को कोई मुनाफा नहीं हुआ है।उन्होंने कारोबारी दिग्गज गौतम अदाणी का नाम लिए बिना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि एक ‘मित्र’ को दुनिया का दूसरा सबसे अमीर बनाने वाला ‘जादू’ छोटे व्यापारियों पर क्यों नहीं चलाया गया? राहुल गांधी ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए ट्वीट किया, ‘‘मित्र काल की कहानीः 76 प्रतिशत एमएसएमई को कोई मुनाफ़ा नहीं, 72 प्रतिशत की आमदनी स्थिर रही, घटी, या ख़त्म। 62 प्रतिशत को बजट से सिर्फ़ निराशा मिली।’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘जिस जादू से एक ‘मित्र’ को दुनिया में दूसरा सबसे अमीर बनाया, वही जादू छोटे व्यापारों पर क्यों नहीं चलाया?’’

जेपीसी के अलावा कोई कमिटी अदाणी समूह को दोषमुक्त करार देने की कवायद, रमेश बोले- ये मंजूर नहीं

कांग्रेस ने गुरुवार को कहा है कि अदाणी मुद्दे की गहन जांच जरूरी है। इस मामले में जेपीसी के अलावा कोई अन्य समिति समूह को दोषमुक्त करार देने के अलावा और कुछ नहीं होगी।  कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सरकार की ओर से समिति गठित करने के लिए उच्चतम न्यायालय के समक्ष रखे गए प्रस्ताव से पारदर्शिता सुनिश्चित नहीं हो सकती। उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने 13 फरवरी को अडाणी-हिंडनबर्ग मामले पर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए विशेषज्ञों की एक समिति बनाने पर चर्चा की थी जो अमेरिकी कंपनी की ओर से  लगाए गए आरोपों के बाद नियामकीय व्यवस्था की जांच करेगी। उन्होंने कहा कि उसने सरकार को इस संबंध में 16 फरवरी तक अपनी दलीलें देने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘जहां आरोप सत्तारूढ़ दल, भारत सरकार और अदाणी समूह से परस्पर जुड़े हुए हैं, वहां सरकार की ओर से प्रस्तावित एक समिति के गठन से पारदर्शिता की उम्मीद नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा, ‘यह दो प्रमुख तत्वों सरकार और अदाणी समूह की ओर से वास्तविक जांच से बचने और तथ्यों को दफन करने के लिए शुरू की गई कवायद है। यह स्पष्ट हो रहा है कि प्रस्तावित समिति सत्तारूढ़ शासन के साथ अदाणी समूह के संबंधों की किसी भी वास्तविक जांच को रोकने के लिए इन निहित स्वार्थी तत्वों की ओर से की गई सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध अभ्यास का हिस्सा है।  उन्होंने दावा किया, ‘अगर प्रधानमंत्री और उनकी सरकार की जवाबदेही तय होती है जेपीसी के अलावा कोई अन्य समिति और कुछ नहीं बल्कि वैधता और दोषमुक्त करने की कवायद भर होगी। रमेश ने कहा कि आरोपों की प्रकृति को देखते हुए यह जरूरी है कि जनता के प्रति जवाबदेह निर्वाचित प्रतिनिधियों की ओर से अदाणी समूह और सत्तारूढ़ शासन के बीच के ‘संबंधों’ की पूरी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ”विशेषज्ञों की की ओर से नियामकीय और वैधानिक व्यवस्था का मूल्यांकन किसी भी तरह से संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच के बराबर नहीं है। इस तरह की समिति, चाहे वह कितनी भी सक्षम क्यों न हो, पिछले दो हफ्तों में सामने आई राजनीतिक-कॉर्पोरेट सांठगांठ की गहन जांच का विकल्प नहीं हो सकती है। उसके पास विपक्ष की ओर से उठाए गए सवालों की जांच करने का अधिकार या संसाधन नहीं है। उन्होंने कहा कि अदाणी मुद्दे पर जेपीसी जांच जरूरी है। उन्होंने दावा किया कि प्रतिभूति और बैंकिंग लेनदेन में अनियमितताओं के साथ-साथ 2023 के शेयर बाजार घोटाले जैसे सार्वजनिक महत्व के मामलों की जांच के लिए अतीत में कई जेपीसी का गठन किया गया है। कांग्रेस अदाणी समूह के खिलाफ अमेरिका स्थित शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से लगाए गए आरोपों की जेपीसी जांच की मांग कर रही है। दूसरी ओर, अदाणी समूह ने इन आरोपों को निराधार बताया है।

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