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‘मैं भागा नहीं हूं, हालात जो भी हो समाधान खोज लूंगा’, बायजू संकट के बीच बोले रविंद्रन

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संकटग्रस्ट एडटेक फर्म बायजू के संस्थापक बायजू रवींद्रन ने स्वीकार किया है कि उन्होंने अपने कारोबार की विस्तार क्षमता को बहुत अधिक आंका था और अब इसका मूल्य शून्य रह गया है, क्योंकि कंपनी दिवालियापन का सामना कर रही है। हालांकि, रविद्रन को उम्मीद है कि कंपनी को अब भी बचाया जा सकता है। 21 से ज्यादा देशों में काम करने वाली कंपनी बायजू ने ऑनलाइन पढ़ाई-लिखाई की सुविधा शुरू कर कोविड-19 महामारी के दौरान खासी लोकप्रियता हासिल की थी। 2022 में बायजू का मूल्यांकन बढ़कर 22 बिलियन डॉलर (लगभग 1,84,800 करोड़ रुपये)  पर पहुंच गया था, लेकिन उसके बाद हालात बदलने लगे। बीते कुछ महीनों में बायजू को बकाया भुगतान और कुप्रबंधन के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। फिलहाल दुबई में रह रहे रवींद्रन ने गुरुवार की देर रात वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पत्रकारों से बातचीत की। कंपनी में संकट का दौर शुरू होने के बाद बायजू पहली बार मीडिया से मुखातिब हुए और इस दौरान कहा, “कंपनी का मूल्य शून्य हो गया है। आप किस मूल्यांकन की बात कर रहे हैं? यह शून्य है।” मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार बायजू ने बातचीत के दौरान खुद के दुबई में रहने पर भी सफाई दी। उन्होंने कहा, “मुझे भागना था इसलिए मैं दुबई में हूं, लोगों का ऐसा सोचना दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं अपने पिता के इलाज के लिए एक वर्ष के लिए दुबई आया था, यही मेरे दुबई में रहने का कारण है। मैं यह साफ कर दूं, मैं भागा नहीं हूं। रविंद्रन ने कहा, “हमने संभावित वृद्धि का बहुत अधिक अनुमान लगा लिया था,  हमने एक साथ कई बाजारों में प्रवेश किया। यह बहुत जल्दबाजी में, और बहुत बड़े पैमाने पर किया गया।” अमेरिकी ऋणदाताओं ने अगस्त महीने में बायजू के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने बायजू की ओर से उधार ली गई 1 बिलियन डॉलर (8400 करोड़ रुपये) की राशि के दुरुपयोग की शिकायत की थी। उसके बाद कंपनी फिलहाल दिवालियापन की कार्यवाही से गुजर रही है। रवींद्रन ने गुरुवार पत्रकारों से बातचीत में अपने ऊपर लगे सभी गलत कामों के आरोपों से इनकार किया। ग्लास ट्रस्ट, जो बायजू का विरोध करने वाले ऋणदाताओं का प्रतिनिधित्व करता है, ने बायजू की टिप्पणियों पर फिलहाल कोई जवाब नहीं दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक बायजू के साथ विवाद में ग्लास ट्रस्ट की शिकायतों पर अंतिम फैसला नहीं सुनाया है। कभी देश के स्टार्टअप जगत का चमकता सितारा बायजू वैश्विक निवेशकों का भी प्यारा था, लेकिन पिछले कुछ महीने कंपनी के लिए बुरा सपना साबित हुआ है। उसे कई मोर्चों पर असफलता का सामना करना पड़ा है। इस दौरान बायजू को बोर्डरूम से बाहर निकाला गया, वित्तीय खुलासों में देरी को लेकर कंपनी की आलोचना हुई। कंपनी को दौर में कुप्रबंधन को लेकर विदेशी निवेशकों के साथ सीधे टकराव का भी सामना करना पड़ा। हालांकि पत्रकारों से बातचीत में गणितज्ञ और शिक्षक से अरबपति बने बायजू ने कहा, “जो भी हो, मैं समस्याओं का समाधान ढूंढ़ लूंगा।” पीटीआई के अनुसार रवींद्रन ने कहा, “अगर वे (निवेशक) मेरे साथ काम करने को तैयार हैं, तो मैं एक भी रुपया खुद लेने से पहले उन्हें पैसे लौटाने को तैयार हूं। हमने 140 मिलियन डॉलर (11,760 करोड़ रुपये) का भुगतान किया, लेकिन वे पूरे 1.2 बिलियन डॉलर (100,800 करोड़ रुपये ) एक साथ मांग रहे हैं, इसे हमने पहले ही निवेश कर दिया था। ऐसा कोई तरीका नहीं था, कि हम उन्हें इतने कम समय में इसे लौटा सकें। अधिकांश ऋणदाता समझौता करना चाहते है, लेकिन एक या दो लोग इससे बहुत लाभ कमाना चाहते है।”