शभर में सोमवार को रक्षाबंधन पर 12,000 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार की उम्मीद है। बाजारों में भीड़ को देखते हुए इस राखी पर 2023 की तुलना में 20 फीसदी अधिक कारोबार का अनुमान है। बीते साल राखी पर 10,000 करोड़ का कारोबार हुआ था। कोविड के कारण दो साल धीमी वृद्धि के बावजूद राखी पर कारोबार छह साल में चार गुना बढ़ा है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया, राखियों की मांग बढ़ी है। इस साल भी चीन की बनी राखियों की जगह स्वदेशी की मांग है। कैट की वैदिक कमेटी के अध्यक्ष एवं उज्जैन के वेद मर्मज्ञ आचार्य दुर्गेश तारे ने बताया, सोमवार को दोपहर 1:30 बजे तक भद्रा काल है। इसलिए राखी बांधने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:31 बजे के बाद से होगा। कैट के मुताबिक, रक्षाबंधन से शुरू होकर 15 नवंबर को तुलसी विवाह के दिन तक यानी करीब तीन महीने की त्योहारी अवधि में देशभर के बाजारों में करीब चार लाख करोड़ रुपये की बिक्री की उम्मीद है।
खादी, सांगानेरी, बांस व ऊनी राखी की धूम
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने बताया, विभिन्न शहरों के प्रसिद्ध उत्पादों से बनीं विशेष प्रकार की राखियां इस बार का आकर्षण हैं। नागपुर की खादी राखी, जयपुर की सांगानेरी कला राखी, पुणे की बीज राखी, मध्य प्रदेश के सतना की ऊनी राखी, आदिवासी उत्पादों से बनी बांस की राखी, असम की चायपत्ती राखी और कोलकाता की जूट राखी बाजार में है। मुंबई की रेशम राखी, केरल की खजूर राखी, कानपुर की मोती राखी, बिहार की मधुबनी व मैथिली कला राखी, पुदुचेरी की सॉफ्ट पत्थर की राखी व बंगलूरू की फूल राखी भी खूब बिक रही हैं। nबाजार में तिरंगा राखी, वसुधैव कुटुम्बकम राखी और भारत माता राखी की भी मांग है। डिजाइनर व चांदी की राखियां भी बिक रही हैं। अगले तीन महीनों में रक्षाबंधन से शुरू होकर जन्माष्टमी, 10 दिवसीय गणेश उत्सव, नवरात्र-दुर्गा पूजा-दशहरा, करवा चौथ, धनतेरस, दिवाली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज व छठ सहित अन्य पर्व-त्योहार मनाए जाएंगे।