लखनऊ/नई दिल्ली: राहुल गांधी खुद अभी-अभी छुट्टी से लौटे हैं। विदेश गए हुए थे। निजी काम से। ऐसे समय में जब कांग्रेस पार्टी पंजाब में सत्ता बचाने और उत्तर प्रदेश में सम्मान बचाने की लड़ाई लड़ रही थी। खुद को कांग्रेस का सामान्य कार्यकर्ता बताते हैं। सोनिया गांधी कार्यवाहक अध्यक्ष हैं। प्रियंका गांधी महासचिव हैं। लेकिन पार्टी में भयंकर विरोध है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया से पार्टी अध्यक्ष चुनने के लिए जी-23 सक्रिय है। भारी दबाव में कांग्रेस पार्टी में संगठन की आंतरिक चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसी साल सितंबर-अक्टूबर में कांग्रेस अध्यक्ष के लिए चुनाव होंगे। इस बीच उत्तर प्रदेश में सक्रिय प्रियंका गांधी ने बड़ा संकेत दिया है। शुक्रवार को राहुल गांधी के बगल में रहते उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये संकेत दिया। एक पत्रकार ने पूछा क्या बिना चेहरे के कांग्रेस उत्तर प्रदेश में उतर रही है, क्योंकि मुख्यमंत्री का चेहरा अहम होता है, इस पर प्रियंका गांधी ने कहा- आपको किसी और का चेहरा दिखता है कांग्रेस पार्टी की तरफ से। इस पर रिपोर्टर ने पूछा .. क्या आप ही चेहरा होंगी ? तब प्रियंका गांधी ने मुस्कुराते हुए कहा – दिख तो रहा है न मेरा सब जगह चेहरा।
सीताराम केसरी के बाद अब तक कांग्रेस में अध्यक्ष सर्वसहमति से ही चुना जाता रहा है। इस बार पार्टी नेताओं का मूड कुछ अलग है। ऐसी स्थिति में प्रियंका गांधी ने खुद को उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री का चेहरा बताकर साफ संकेत दिया है कि अगर जरूरत पड़ी तो पार्टी की बागडोर वो संभाल सकती हैं। दबी और खुली दोनों जुबान में पार्टी नेताओं को प्रियंका गांधी में उनकी दादी और चार बार प्रधानमंत्री बनीं इंदिरा गांधी का अक्स दिखता है। इसमें कोई शक नहीं कि प्रयिंका के कंधों पर ही यूपी चुनाव की जिम्मेदारी है। बल्कि ये जिम्मेदारी उन्होंने खुद ली है।
प्रियंका ने पार्टी की बागडोर खुद अपने कंधों पर ली
प्रियंका गांधी ने जिस तरह लड़की हूं, लड़ सकती हूं का नारा दिया और पहली बार पिंक कैंडिडेट लिस्ट सामने लाकर 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देने का ऐलान किया है, उससे लगता है कि वो कांग्रेस को उसका राजनीतिक वजूद वापस दिलाने के लिए अलग कहानी लिखने की कोशिश कर रही हैं। जैसे इंदिरा ने गरीबों और महिलाओं में खास जगह बनाई, उसी तरह प्रियंका ये कोशिश कर रही हैं।