कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने विदेशी कामगारों की संख्या घटाने का फैसला किया है। इसके लिए उन्होंने अपने अस्थायी विदेशी कर्मचारी कार्यक्रम (टीएफडब्ल्यूपी) में संशोधन किया है। इसके तहत अब कनाडा में कम वेतन व अस्थायी नौकरी करने वाले विदेशियों की संख्या घटकर कुल आबादी का 5 प्रतिशत हो जाएगी। इसका सबसे बड़ा असर कनाडा में पढ़ाई के दौरान छोटी-मोटी नौकरियां करने वाले विदेशी छात्रों पर होगा। इनमें भारतीय छात्रों की संख्या सबसे ज्यादा है। ये छात्र कनाडा की महंगाई को झेलने के लिए अपनी पढ़ाई से इतर नौकरी भी करते हैं। विशेषज्ञों ने भी चेतावनी दी है कि ट्रूडो सरकार के इस फैसले से अप्रवासियों और युवाओं के बीच बेरोजगारी बढेगी। टीएफडब्लूपी संशोधन 26 सितंबर से लागू होगा। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा, हम कनाडा में कम वेतन वाले, अस्थायी विदेशी श्रमिकों की संख्या कम कर रहे हैं। श्रम बाजार बदल गया है। अब समय आ गया है कि हमारे कारोबारी कनाडाई श्रमिकों और युवाओं में निवेश करें।
सरकार अगले तीन वर्षों में अस्थायी निवासियों की संख्या पांच प्रतिशत करेगी
आव्रजन मंत्री मार्क मिलर ने कहा कि सरकार अगले तीन वर्षों में अस्थायी निवासियों को संख्या 6.2 प्रतिशत से घटाकर कुल जनसंख्या का 5 प्रतिशत करना चाहती है। इससे कनाडा के 25 लाख अस्थायी निवासियों से लगभग 20 प्रतिशत की कटौती हो जाएगी। मिलर ने ओटावा में संवाददाताओं से कहा, हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि देश में प्रवेश करने वाले अस्थायी निवासियों की संख्या एक स्थायी स्तर पर हो। ट्रूडो सरकार की नई घोषणा से भारतीयों असर पड़ेगा। क्योंकि बड़ी संख्या में पंजाब और हरियाणा से लोग उच्च वेतन वाली नौकरियों या उच्च अध्ययन की तलाश में कनाडा जाते हैं।