
भारत ने हाइड्रोजन ट्रेन चलाने के लिए तेजी से काम शुरू कर दिया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारतीय रेलवे देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन विकसित करने के लिए एक अत्याधुनिक परियोजना पर काम कर रही है। राज्यसभा में एक लिखित जवाब के माध्यम से उन्होंने बताया कि रेलवे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पहली हाइड्रोजन ट्रेन बना रही है, जो दुनिया की सबसे लंबी व शक्तिशाली ट्रेनों में शामिल होगी। पूरी तरह से स्वदेशी रूप से विकसित हो रही यह ट्रेन अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) की निर्देशों पर आधारित है। सांसद अजीत कुमार भुइयां के प्रश्न के जवाब में वैष्णव ने सदन को बताया कि ट्रेन के साथ-साथ हाइड्रोजन को फिर से भरने के लिए एक एकीकृत हाइड्रोजन उत्पादन-भंडारण वितरण सुविधा के साथ जमीनी स्तर पर बुनियादी ढांचे को तैयार करने पर काम किया जाएगा। पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन से सुविधा लेआउट को लेकर आवश्यक सुरक्षा अनुमोदन मिल चुके हैं। वैष्णव ने कहा कि यह परियोजना वैकल्पिक ऊर्जा से चलने वाली रेल यात्रा में प्रगति के प्रति भारतीय रेलवे की प्रतिबद्धता को पुख्ता करेगी। इससे देश के परिवहन क्षेत्र का स्वच्छ और हरित भविष्य तय होगा।
3 साल में चेन्नई में बने वंदे भारत के 640 कोच
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा को बताया कि पिछले तीन वित्तीय वर्षों में चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्टरी (आईसीएफ) में कुल 640 वंदे भारत कोच का निर्माण किया गया। इसके अलावा, कपूरथला स्थित रेल कोच फैक्टरी (आरसीएफ) को 320 वंदे भारत कोच के निर्माण का उत्पादन लक्ष्य दिया गया है। सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी के सवालों के जवाब में वैष्णव बताया कि कपूरथला स्थित आरसीएफ ने पिछले तीन साल में 5,414 कोच का निर्माण किया है। गौरतलब है कि वंदे भारत ट्रेनें भारतीय रेलवे की प्रतिष्ठित सेमी-हाई स्पीड ट्रेनें हैं। ये यात्रियों को आधुनिक सुविधाएं और बेहतर यात्रा अनुभव प्रदान करती हैं।