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शरद पवार सरकार गिराएं तो कूटनीति शिंदे करें तो बेईमानी कैसे

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर विश्वासघात का आरोप लगाने पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 1977 के राजनीतिक घटनाक्रम की याद दिलाई है। उन्होंने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार को आईना दिखाया कि वे सरकार गिराएं तो कूटनीति और शिंदे करें तो बेईमानी कैसे? इसके जवाब में पलटवार करते हुए पवार ने कहा, तब फडणवीस छोटे थे। इसलिए उन्हें इतिहास नहीं पता। फडणवीस ने मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने पर चंद्रपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, 1978 में शरद पवार तत्कालीन मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटिल के मंत्रिमंडल से 40 विधायक लेकर बाहर आ गए और जनसंघ के साथ मिलकर सरकार बना ली। वे करें तो रासलीला और शिंदे करें तो करेक्टर ढीला। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले पटना में पिछले हफ्ते हुई विपक्षी दलों की बैठक में ‘प्रधानमंत्री पद’ को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई। पवार ने बारामती में सोमवार को संवाददाताओं से कहा कि बैठक में महंगाई, बेरोजगारी और कुछ स्थानों पर ‘जानबूझकर सांप्रदायिक तत्वों को उकसाने की कोशिशों’ जैसे मुद्दों पर बात हुई। उन्होंने विपक्षी दलों की बैठक की आलोचना करने के लिए सत्तारूढ़ भाजपा पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भाजपा इस बैठक को लेकर क्यों चिंतित है। उनमें राजनीतिक परिपक्वता की कमी है। पवार से जब पूछा गया कि इस तरह की आलोचनात्मक टिप्पणियां की जा रही हैं कि बैठक में प्रधानमंत्री पद के 19 दावेदार साथ में बैठे थे तो राकांपा नेता ने इसे बचकाना बयान कहकर खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि धर्म और जाति के आधार पर समुदायों के बीच दरार पैदा करना किसी भी समाज के लिए नुकसानदेह है।

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