पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन में पौष मेला आयोजित करने पर सहमति बन गई है। विश्वभारती विश्वविद्यालय ने मेले का फैसला प्रदूषण नियंत्रण मानदंडों पर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के मार्गदर्शन में लिया है। बता दें, विश्वविद्यालय में 1951 से हर वर्ष पौष मेला आयोजित किया जा रहा है। संभावना है कि इस बार मेला छोटे पैमाने पर आयोजित किया जाएगा। पौष मेला पौष महीने के सांतवे दिन आयोजित किया जाता है। मेले का आयोजन पहली बार 1894 में रवींद्रनाथ टेगौर के पिता महार्षि देबेंद्रनाथ टैगोर ने बंगाल के हस्तशिल्प, विरासत और संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए किया था। हालांकि, 2020 और 2021 में कोविड-19 के कारण मेला आयोजित नहीं हो सका था। वहीं, 2022 में अन्य कठिनाइयों के कारण भी मेला आयोजित नहीं हो पाया था। जानकारी के अनुसार, मेले पर चर्चा करने के लिए विश्व भारती की कार्यकारी परिषद की बैठक एक दिसंबर 2023 को हुई थी। परिषद ने एनजीटी से नए निर्देश मांगे हैं, जिससे विश्वविद्यालय नियमों को रखा जा सके।
पूर्व कुलपति ने साधा निशाना
विश्वभारती के पूर्व कार्यवाहक कुलपति सबुजकली सेन ने बताया कि यह अच्छी खबर है लेकिन अब मेले में 20 दिन शेष बचे हैं। मेले में समय नहीं बचा है। मेले का आयोजन बहुत मुश्किल रहने वाला है। हमारे समय में मेले की तैयारी अक्तूबर से शुरू होती थी। मुझे नहीं पता कि सार्वजनिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सब कुछ कैसे किया जाएगा। लोग तो पौष मेले में आएंगे ही चाहे यह बड़े पैमाने पर हो या छोट पैमाने पर।