#BREAKING LIVE :
मुंबई हिट-एंड-रन का आरोपी दोस्त के मोबाइल लोकेशन से पकड़ाया:एक्सीडेंट के बाद गर्लफ्रेंड के घर गया था; वहां से मां-बहनों ने रिजॉर्ट में छिपाया | गोवा के मनोहर पर्रिकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरी पहली फ्लाइट, परंपरागत रूप से हुआ स्वागत | ‘भेड़िया’ फिल्म एक हॉरर कॉमेडी फिल्म | शरद पवार ने महाराष्ट्र के गवर्नर पर साधा निशाना, कहा- उन्होंने पार कर दी हर हद | जन आरोग्यम फाऊंडेशन द्वारा पत्रकारो के सम्मान का कार्यक्रम प्रशंसनीय : रामदास आठवले | अनुराधा और जुबेर अंजलि अरोड़ा के समन्वय के तहत जहांगीर आर्ट गैलरी में प्रदर्शन करते हैं | सतयुगी संस्कार अपनाने से बनेगा स्वर्णिम संसार : बीके शिवानी दीदी | ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में आरती त्रिपाठी हुईं सम्मानित | पत्रकार को सम्मानित करने वाला गुजरात गौरव पुरस्कार दिनेश हॉल में आयोजित किया गया | *रजोरा एंटरटेनमेंट के साथ ईद मनाएं क्योंकि वे अजमेर की गली गाने के साथ मनोरंजन में अपनी शुरुआत करते हैं, जिसमें सारा खान और मृणाल जैन हैं |

शिंदे पर शिवसेना को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल कराने का दबाव! ठाकरे युग को खत्म करने की कवायद

115

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर अब शिवसेना से केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल होने का दबाव पड़ने लगा है। अगले साल होने वाले महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनावों से पहले पार्टी के भीतर इस बात की चर्चा हो रही है कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शिवसेना को मिलने वाली जगह से न सिर्फ महाराष्ट्र के सियासी समीकरण साधे जाएंगे। बल्कि उद्धव ठाकरे को कमजोर करने में यह दांव भी शिंदे गुट को मुफीद लग रहा है। दरअसल यह सारी कवायद पार्टी के भीतर तब और ज्यादा जोर मारने लगी, जबसे शिंदे गुट को आधिकारिक रूप से शिवसेना का तमगा और चुनाव चिन्ह मिल गया है। यही वजह है कि अब शिंदे गुट पूरी तरीके से पार्टी से न सिर्फ उद्धव ठाकरे युग को खत्म करने की कवायद में लग गया है। बल्कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने की सभी जोर आजमाइश भी शुरू कर दी गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगले साल महाराष्ट्र में चुनाव हैं। ऐसी दशा में अगर शिंदे गुट की पहचान को महाराष्ट्र में स्थापित करके अगले साल फिर से सत्ता में वापसी करनी है, तो केंद्रीय मंत्रिमंडल में शिवसेना को जल्द से जल्द जगह भी देनी होगी। इसको लेकर पार्टी के भीतर न सिर्फ लगातार बातचीत हो रही है, बल्कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे तक से पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने विस्तार से चर्चा की है। पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पिछले सप्ताह महाराष्ट्र पहुंचे गृहमंत्री अमित शाह के संज्ञान में भी यह बात लाई गई है। महाराष्ट्र की सियासत को समझने वाले राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अब एकनाथ शिंदे के ऊपर शिवसेना पार्टी का तमगा और पार्टी का सिंबल मिलने के बाद दबाव तो पड़ ही रहा होगा।हालांकि शिवसेना से जुड़े एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने को लेकर कोई अटकलें और रोड़े नहीं हैं। वह कहते हैं कि जैसे ही मंत्रिमंडल का विस्तार होगा, तो शिवसेना को उसमें हिस्सेदारी भी मिलेगी। इसके पीछे तर्क देते हुए महाराष्ट्र के राजनीतिक विश्लेषक हिमांशु शितोले कहते हैं कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है शिवसेना के ऊपर दबाव तो पड़ ही रहा है। वह बताते हैं कि यह दबाव सिर्फ इस बात का नहीं है कि चुनाव आयोग की ओर से शिंदे गुट को मिली शिवसेना की मान्यता और चुनाव चिन्ह के साथ केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिले। दबाव इस बात का है कि असली चुनावी परीक्षा 2024 के विधानसभा चुनावों में एकनाथ शिंदे गुट को मिली शिवसेना की बागडोर के बाद सीधा मुकाबला उद्धव ठाकरे की पार्टी से होने वाला है। यही वजह है कि सिर्फ शिवसेना ही नहीं बल्कि भाजपा भी महाराष्ट्र के सभी सियासी समीकरणों को हर नजरिए से देख कर एक-एक कदम फूंक कर आगे रख रही है।

शिवसेना कार्यकारिणी में हो सकते हैं फेरबदल

महाराष्ट्र में हुए बड़े सियासी उलटफेर के बाद जिस तरीके से मुख्यमंत्री शिंदे ने शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है, उससे कई तरह के कयास भी लगाए जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अभी भी कई नेता ऐसे हैं, जिनकी आस्था उद्धव ठाकरे और बाल ठाकरे के परिवार के प्रति बनी हुई है। विश्लेषकों का अनुमान है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में उद्धव ठाकरे के परिवार से संबंध रखने वाले किसी नए नेता की फिलहाल न तो एंट्री होगी और न ही उसे बरकरार रखा जा सकेगा। सूत्रों का कहना है कि शिवसेना की बुलाई गई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के विधायक सांसद और तमाम बड़े नेता शामिल होने वाले हैं। फिलहाल अनुमान तो यही लगाया जा रहा है कि शिवसेना की नई कार्यकारिणी में व्यापक फेरबदल किए जा सकते हैं। हालांकि यह फेरबदल किस तरीके के होंगे यह तो कार्यकारिणी की बैठक के बाद ही पता चलेगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महाराष्ट्र में जितना सजग होकर एकनाथ शिंदे और उनकी पार्टी से जुड़े नेता चल रहे हैं, उससे ज्यादा भाजपा एक-एक कदम सोच समझ कर रख रही है। राजनीतिक विश्लेषक एसएन धर कहते हैं कि दरअसल अगले साल होने वाले दो महत्वपूर्ण चुनाव महाराष्ट्र के हाल के दिनों में हुए बड़े बड़े घटनाक्रम से आंके जाएंगे। इसमें अगले साल होने वाले लोकसभा का चुनाव भी शामिल है और महाराष्ट्र में अगले साल होने वाले विधानसभा का भी चुनाव शामिल है। धर कहते हैं कि महाराष्ट्र में जिस तरीके से बड़ा सियासी उलटफेर हुआ है, उससे न सिर्फ सियासत के गलियारों में हलचल मची थी, बल्कि महाराष्ट्र की जनता भी एकबारगी सन्न रह गई थी। सियासी जानकार बताते हैं कि 2018 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद से महाराष्ट्र की सियासत में लगातार किसी न किसी तरह की हलचलें मच ही रही हैं। क्योंकि सरकार उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में बनी थी और बीच में हुए सियासी फेरबदल में उद्धव ठाकरे न सिर्फ सत्ता से बाहर हुए बल्कि पार्टी से भी एक तरह से बेदखल हो चुके हैं। ऐसे में अगले साल होने वाले चुनाव न सिर्फ सियासी रूप से रोचक होने वाले हैं, बल्कि ठाकरे परिवार कि सियासत में उपस्थिति का वजन भी आंकेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *