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शौर्य चक्र से सम्मानित कैप्टन गोसावी ने आखिरी उड़ान को बनाया यादगार; स्कूल के जूनियर के साथ भरी उड़ान

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लेफ्टिनेंट कमांडर निखिल अहेर को अपनी छोटी उड़ान लंबे समय तक याद रहने वाली है। दरअसल, 29 साल के पायलट ने अपने स्कूल के वरिष्ठ और सम्मानित नौसेना अधिकारी कैप्टन कौस्तुभ गोसावी के सेवानिवृत्त होने से एक दिन पहले उन्हें उनके पसंदीदा कामोव केए-31 हेलिकॉप्टर में बैठाकर उड़ान भरी।  बता दें, कैप्टन गोसावी ने नौसेना के विमानन विंग में 34 वर्षों तक अपनी सेवा दी। वह अपने महत्वपूर्ण कार्यकाल के बाद 31 जुलाई को सेवानिवृत्त हुए। उन्हें वीरता के लिए शौर्य चक्र से नवाजा जा चुका है। इसके साथ ही नौसेना पदक से भी सम्मानित हो चुके हैं। वह नौसेना के हेलीकॉप्टर बेड़े में एक खास पहचान रखते हैं, विशेषकर कामोव हेलिकॉप्टर में। वहीं, लेफ्टिनेंट कमांडर अहेर जैसे कई लोग उन्हें अपना आदर्श मानते हैं। लेफ्टिनेंट कमांडर अहेर ने बताया, ‘जब मुझे पता चला कि गोसावी सर के लिए एक उड़ान की योजना बनाई गई है, तो मैंने उनके साथ उनके पसंदीदा हेलिकॉप्टर में उड़ान भरने का अवसर लिया।’ गौरतलब है, गोसावी और अहेर एक ही सैनिक स्कूल सितारा के छात्र रहे हैं। यह स्कूल रक्षा मंत्रालय द्वारा प्रबंधित भारत का पहला सैनिक स्कूल है। कैप्टन गोसावी 1986 में पासआउट हुए थे, जबकि लेफ्टिनेंट कमांडर अहेर ने 2012 में स्कूल छोड़ दिया और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में शामिल हो गए थे। लेफ्टिनेंट कमांडर अहेर ने कहा कि कैप्टन गोसावी गोवा में कामोव केए-31 स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर भी थे और युवा सैनिकों के आदर्श हैं। वह उस बैंच में थे, जिसने साल 2004 में रूस कामोव केए-31 लाने का काम किया था। भारतीय नौसेना मुख्य रूप से पनडुब्बी रोधी अभियानों के लिए कामोव केए-28 हेलीकॉप्टरों का बेड़ा संचालित करती है। कैप्टन गोसावी कामोव केए-28 के कुशल पायलट भी हैं। बाद में उन्होंने रूस में कामोव केए-31 को उड़ाने की ट्रेनिंग ली।
भावुक करने वाला पल
कैप्टन गोसावी ने कहा, ‘मंगलवार को जब कामोव केए-31 मेरी आखिरी उड़ान के बाद आईएनएस शिकरा पर उतरा तो यह मेरे लिए एक भावुक करने वाला पल था। इस अवसर को और भी यादगार बनाने वाली बात यह थी कि पायलट मेरे स्कूल था। आईएनएस शिकरा, जिसे पहले आईएनएस कुंजली के नाम से जाना जाता था, दक्षिण मुंबई के कोलाबा में एक नौसेना हवाई अड्डा है और एक हेलीपोर्ट है। साल 2015 में, कैप्टन गोसावी को साहसी खोज और बचाव अभियानों में 15 लोगों की जान बचाने के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। उन्हें 2014 में नौसेना पदक (वीरता) से सम्मानित किया गया था। पायलटों को उनके उड़ान करियर की आखिरी लैंडिंग के बाद वाटर कैनन गन सलामी दी जाती है। यह सम्मान किसी हवाई अड्डे पर पहली बार उतरने पर भी दिया जाता है।