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‘श्रमबल में महिलाओं की बढ़ी भागीदारी’, पीएम के आर्थिक सलाहकार परिषद् की शोध में सामने आई यह बात

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नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में सभी राज्यों में, खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में, 2017-18 और 2022-23 के बीच महिला श्रमबल भागीदारी दर (LFPR) में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद् ने अपनी एक शोध में यह बात कही। वर्किंग पेपर सीरीज के नाम से प्रकाशित इस शोध में महिला श्रमबल भागीदारी में इजाफे को अभूतपूर्व उपलब्धि बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार उक्त अवधि के दौरान, ग्रामीण महिला एलएफपीआर 24.6% से बढ़कर 41.5% हो गई यानी 69% की वृद्धि- जबकि शहरी महिला एलएफपीआर 20.4% से मामूली रूप से बढ़कर 25.4% हो गई, जो 25% की वृद्धि को दर्शाता है। रिपोर्ट में कहा गया है, “यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है, क्योंकि 2004 से 2017 तक महिला एलएफपीआर में लगातार गिरावट आ रही थी। यह प्रवृत्ति विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि 2004-05 और 2014-15 के बीच भारत की महिला एलएफपीआर में गिरावट पर व्यापक चर्चा हुई है, जबकि इसके बाद देश भर में हुई वृद्धि पर बहुत कम ध्यान दिया गया है।”

लगभग सभी राज्यों में महिला श्रम बल भागीदारी में इजाफा

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) द्वारा जारी एक नए कार्य पत्र में कहा गया है कि 2017-18 से 2022-23 के दौरान भारत के लगभग सभी राज्यों में महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर (एलएफपीआर) में वृद्धि हुई है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक वृद्धि देखी गई है। इस पत्र में कहा गया है कि बिहार, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों ने लगातार महिला एलएफपीआर के बहुत कम स्तर की रिपोर्टिंग की है। हरियाणा और पंजाब भारत के सबसे अमीर राज्यों में से हैं, जबकि बिहार सबसे गरीब राज्य है। ग्रामीण महिला एलएफपीआर 2017-18 से 2022-23 के दौरान 24.6 प्रतिशत से बढ़कर 41.5 प्रतिशत (~ 69 प्रतिशत वृद्धि) हो गई, जबकि शहरी एलएफपीआर 20.4 प्रतिशत से बढ़कर 25.4 प्रतिशत हो गई, जैसा कि महिला श्रम बल भागीदारी दर: आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) 2017-18 से 2022-23 का एक अवलोकन विश्लेषण शीर्षक से नए कार्य पत्र में कहा गया है, और ईएसी-पीएम सदस्य शमिका रवि और ईपीयू, आईएसआई-दिल्ली के मुदित मपुर द्वारा सह-लिखित है।

शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ी महिला एलएफपीआर

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2004-05 से 2022-23 तक घरेलू उद्यमों में अवैतनिक पारिवारिक श्रमिकों या सहायकों के रूप में काम करने वाले सभी लोगों को बाहर करने के बाद भी, महिला एलएफपीआर में वृद्धि  हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है, “2017-18 के बाद (महामारी से पहले भी) महिला एलएफपीआर में लगातार वृद्धि हुई है; और यह वृद्धि पूरे भारत में शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक स्पष्ट है।” आर्थिक सलाहकार परिषद् की शोध ने उस आलोचना को भी खारिज कर दिया है कि यह वृद्धि अवैतनिक श्रम से संचालित है। आंकड़े इसके विपरीत संकेत देते हैं। शोध के अनुसार इस वृद्धि का श्रेय पिछले दशक में सरकार की आरे से  की गई विभिन्न पहलों को दिया जा सकता है, जिनमें से कई ने खास तौर पर ग्रामीण महिलाओं को लक्षित किया है। प्रमुख कार्यक्रमों में मुद्रा ऋण, “ड्रोन दीदी” योजना और दीनदयाल अंत्योदय योजना के तहत स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को संगठित करना, अन्य महत्वपूर्ण प्रयास शामिल हैं।