भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों के विशालकाय रथ बुधवार को श्री गुंडिचा मंदिर पहुंचे। इन रथों को भक्तों के द्वारा दो किलोमीटर दूर स्थित 12वीं सदी के श्रीमंदिर से तीर्थ शहर के बीचोंबीच से खींचकर लाया गया। हालांकि, इनमें से दो रथ रातभर ग्रैंड रोड पर फंसे रहे और अगले दिन अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचे। देवी सुभद्रा का रथ ‘दरपदलन’ मंगलवार को गंतव्य से करीब 200 मीटर दूर बंदसाखा में फंस गया था, जबकि गुंडिचा मंदिर से करीब दो किलोमीटर दूर गलागंडी में भगवान जगन्नाथ का रथ ‘नंदीघोष’ फंसा हुआ था। तीनों का नेतृत्व करने वाला भगवान बलभद्र का रथ ‘तलद्वाज’ श्री गुंडिचा मंदिर के सामने सारदाबली पहुंचा था। रथ खींचने का काम मंगलवार रात आठ बजे रोक दिया गया था। हालांकि, मूर्तियों को अभी गुंडिचा मंदिर के अंदर ले जाया जाना बाकी है, जहां वे 28 जून (नौ दिन का प्रवास) तक मौजूद रहेंगे। इसके बाद उन्हें बाहुड़ा यात्रा में श्रीमंदिर (श्री जगन्नाथ मंदिर) वापस ले जाया जाएगा। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के अधिकारियों ने कहा कि भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा फिलहाल अपने रथों पर ही रहेंगे और उन्हें गुरुवार शाम को पारंपरिक ‘पाहंडी’ अनुष्ठान में गुंडिचा मंदिर के अडापा मंडप ले जाया जाएगा। उन्होंने बताया कि एसजेटीए गुंडिचा मंदिर पहुंचने में रथों की देरी की वजहों की जांच कर रहा है। उन्होंने बताया कि उन्हें समय से पहले कई अनुष्ठानों को पूरा करने के बाद श्री जगन्नाथ मंदिर से बाहर निकाला गया और उन्हें मंगलवार शाम छह बजे गुंडिचा मंदिर पहुंचना था, जो लगभग तीन किलोमीटर दूर है। सेवादार बिनायक दासमोहपात्रा ने कहा कि रथों पर और आंतरिक घेरे में अधिक लोग थे, जिससे विशाल रथों को खींचने में असर पड़ा और देरी हुई। एसजेटीए के मुख्य प्रशासक रंजन कुमार दास ने कहा, ‘सब कुछ भगवान जगन्नाथ की इच्छा के अनुसार होता है।’ इस बीच, तीर्थस्थल के किनारे बसे इस शहर में बुधवार को वही उत्साह देखा गया जो रथ यात्रा पर देखा गया था, जब रथों को गुंडिचा मंदिर की ओर खींचा गया था। इसमें हजारों लोग शामिल हुए और पुलिस व्यवस्था वैसी ही थी जैसी पिछले दिन थी। रथों के फंसे होने के कारण कई भक्त जो मंगलवार को नहीं पहुंच सके, वे रथों को खींचने के अवसर का लाभ उठाने के लिए पुरी पहुंचे।
श्री गुंडिचा मंदिर पहुंचे भगवान जगन्नाथ और देवी सुभद्रा के रथ, 12 लाख भक्तों ने किए दर्शन
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