एनसीपी एसपी की कार्यकारी अध्यक्ष और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने अपने चचेरे भाई अजित पवार के साथ राजनीतिक गठजोड़ की संभावनाओं से साफ इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि अब राजनीतिक मेल-मिलाप संभव नहीं है। सुले ने इसकी वजह विचारधारा की लड़ाई को बताया और कहा कि अजित पवार और उनकी पार्टी भाजपा की सहयोगी, ऐसे में अब दोनों के वैचारिक रस्साकशी रहेगी। सुप्रिया सुले ने आगामी चुनाव में मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर होने की बात कही और कहा कि वे दावेदारों में शामिल नहीं हैं। गौरतलब है कि अजित पवार ने शरद पवार नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी, जिसके बाद एनसीपी दो गुटों में बंट गई। अजित पवार के नेतृत्व वाला गुट भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन का हिस्सा है। वहीं शरद पवार के नेतृत्व वाला गुट एनसीपी (एसपी) महा विकास अघाड़ी गठबंधन का हिस्सा है। जब सुप्रिया सुले से अजित पवार गुट के फिर से शरद पवार के साथ आने की संभावनाओं को लेकर सवाल किया गया तो सुप्रिया सुले ने इससे इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि ‘यह कहना मुश्किल है कि अजित पवार, राजनीतिक रूप से शरद पवार के साथ जुड़ सकते हैं या नहीं। जब तक वे भाजपा के साथ काम कर रहे हैं तो यह आसान नहीं होगा। हमारे बीच विचारधारा की लड़ाई है और दोनों गुटों के साथ आने में यह सबसे बड़ी चुनौती है।’ सुप्रिया सुले के सीएम पद का संभावित चेहरा होने को लेकर जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ‘मैं चुनाव नहीं लड़ रही हूं और एनसीपी (एसपी) ने स्पष्ट कर दिया है कि हम सीएम पद की दौड़ में नहीं हैं। हम इसे लेकर साफ हैं कि हम अपने सहयोगियों के साथ चलेंगे।’ सुप्रिया सुले ने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर कहा कि लोकसभा के नतीजों ने भ्रम को दूर कर दिया है। लोगों को लगता है कि राजनीतिक पार्टियों को अवैध तरीके से तोड़ा गया, उन्हें लोगों पर अवैध तरीके से थोपा गया, हमारी लड़ाई जारी रहेगी।’ सुले ने कहा बारामती सीट पर अजित पवार और उनके भतीजे युगेंद्र पवार के बीच की लड़ाई को सिर्फ वैचारिक लड़ाई बताया। उन्होंने कहा कि ‘हम कांग्रेस के साथ हैं और वे (अजित पवार) भाजपा के साथ हैं। हम भाजपा से लड़ रहे हैं, इसलिए हम उनके सहयोगियों से लड़ रहे हैं।’
‘जीते तो लाडकी बहिन योजना के तहत महिलाओं को और वित्तीय मदद देंगे’
एनसीपी (एसपी) की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने कहा है कि विपक्षी महा विकास अघाड़ी गठबंधन महायुति सरकार की योजना लाडकी बहिन योजना के विरोध में नहीं हैं और अगर वे जीते तो इस योजना के तहत महिलाओं को दी जा रही वित्तीय मदद को और बढ़ाएंगे। लाडकी बहिन योजना के तहत, 2.5 लाख रुपये से कम वार्षिक पारिवारिक आय वाली महिलाओं को वित्तीय सहायता के रूप में 1500 रुपये प्रति माह दिए जाते हैं। आगामी विधानसभा चुनाव में इस योजना को गेमचेंजर कहा जा रहा है। इस योजना को लेकर सुप्रिया सुले ने कहा कि ‘महिलाओं को 1,500 रुपये दिए जा रहे हैं, लेकिन साथ ही तेल की कीमतें, खाद्य मुद्रास्फीति अब तक के उच्चतम स्तर पर है। दिवाली के दौरान बिक्री में गिरावट आई है और राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) भी अच्छा नहीं है। महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ गए हैं।’ सुले ने कहा कि ‘कांग्रेस सरकार महिलाओं के लिए संजय गांधी निराधार योजना लेकर आई थी। हमने छत से चिल्लाकर नहीं कहा बल्कि जरूरतमंद लोगों को मदद की की। सुले ने कहा कि हम जीते तो इस योजना के तहत दिए जा रही वित्तीय मदद को बढ़ाया जाएगा।