भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर शनिवार को 19वें ‘नानी ए पालकीवाला मेमोरियल लेक्चर’ में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में भारतीय विदेश नीति के विभिन्न पहलुओं पर बात की। साथ ही बीते 10 वर्षों में भारतीय कूटनीति के दृष्टिकोण को भी रेखांकित किया। विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया इस वक्त बाजार संसाधनों और वित्तीय संस्थानों को हथियार बनाए जाने की चुनौती का सामना कर रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत की कोशिश ज्यादा से ज्यादा दोस्त बनाने और समस्याओं को कम करने की है। विदेश मंत्री ने कहा कि ‘मुश्किल परिस्थितियों में भी अपने विकास की रफ्तार को बनाए रखना भारत के लिए बड़ी चुनौती है। इसके लिए आंतरिक विकास के साथ ही आधुनिकीकरण करने और बाहरी जोखिम को कम करने की जरूरत है। घरेलू स्तर पर हमने स्थिर राजनीतिक स्थायित्व, समावेशी विकास और लगातार सुधारों से बेहतर काम किया है। हालांकि हमें उत्पादन, खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा पर और ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही मजबूत सहयोग संबंध बनाने की भी जरूरत है ताकि हम और प्रतिस्पर्धी बन सकें।
विदेश मंत्री बोले- उभरती हुई प्रौद्योगिकी तकनीक के विकास में पीछे न रहें
विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि रणनीतिक स्वायत्ता बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि ‘भारत को अहम और उभरती हुई प्रौद्योगिकी तकनीक के विकास में पीछे नहीं रहना चाहिए। भारत गैर पश्चिम हो सकता है, लेकिन रणनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए ये ध्यान रखा जाना चाहिए कि भारत पश्चिम विरोधी न बने।’ जयशंकर ने कहा कि भारत की दुनिया में छवि एक विश्वबंधु देश, सहयोगी और दोस्त की है। हमारी कोशिश है कि दोस्तों की संख्या को बढ़ाया जाए और समस्याओं को कम से कम किया जाए। भारत के हितों को ध्यान में रखकर ही ये किया जा सकता है। विदेश मंत्री ने भारत की कूटनीतिक सफलता का जिक्र करते हुए कहा कि ध्रुवीकृत दुनिया में भारत की मतभेदों को पाटने की क्षमता सबके सामने आई है। बीते दशक में हमने कई मोर्चों पर प्रगति की है। अपने रिश्तों को विविध तौर पर बेहतर किया है। साथ ही क्षेत्रीय देशों के साथ भी संबंधों को सुधारा गया है। भारत की कूटनीतिक क्षमता विस्तार हुआ है और खाड़ी देशों, अफ्रीका और कैरेबियाई देशों में इसका फल भी मिला है।
‘हमारी कोशिश दोस्ती बढ़ाने और समस्याओं को कम करने की है’, विदेश मंत्री जयशंकर का बयान
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