टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रचने के बाद भारतीय मेंस और विमेंस हॉकी टीम स्वदेश लौट आई है। भारतीय मेंस हॉकी टीम ने ब्रॉन्ज मेडल जीता, जबकि विमेंस टीम चौथे नंबर पर रही। भारत की दोनों हॉकी टीमें जैसे ही दिल्ली पहुंचीं, ‘भारत माता की जय’ के नारों से पूरा इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट गूंज उठा। भारतीय मेंस हॉकी टीम ने 41 साल ओलंपिक में मेडल जीता है, जबकि भारतीय महिला हॉकी टीम ने अपने शानदार खेल से करोड़ों देशवासियों का दिल जीत लिया। एयरपोर्ट पर हॉकी खिलाड़ियों की एक झलक पाने के लिए भीड़ उमड़ी हुई थी।
भारत के लिए टोक्यो ओलंपिक काफी यादगार रहा। भारत एक गोल्ड, दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज मेडल के साथ प्वॉइंट टेबल में 48वें नंबर पर रहा। ओलंपिक खेलों में यह भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी है। इससे पहले लंदन ओलंपिक में भारत ने कुल छह मेडल (दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज) जीते थे। भारत की ओर से जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया, जो एथलेटिक्स में भारत की ओर से पहला ओलंपिक मेडल भी है। भारत के लिए वेटलिफ्टर मीराबाई चानू और रेसलर रवि दहिया ने सिल्वर मेडल जीते जबकि मेंस हॉकी टीम, रेसलर बजरंग पूनिया, बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु और महिला बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किए।
टोक्यो में कुछ ऐसा रहा मेंस हॉकी टीम का सफर
मनप्रीत सिंह की कप्तानी वाली भारतीय मेंस हॉकी टीम ने पूल ए में न्यूजीलैंड, स्पेन, अर्जेंटीना और जापान को हराकर क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय किया। क्वार्टर फाइनल में टीम ने ग्रेट ब्रिटेन को हराया और सेमीफाइनल में जगह पक्की की। सेमीफाइनल में भारत को बेल्जियम के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा और फिर ब्रॉन्ज मेडल के लिए खेले गए मैच में टीम ने जर्मनी को हराया। भारतीय मेंस हॉकी टीम ने टूर्नामेंट में दो ही मैच गंवाए और दोनों मैच ऑस्ट्रेलिया और बेल्जियम के खिलाफ थे, जिन्होंने फाइनल में जगह बनाई थी। बेल्जियम ने फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को हराकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया था, जबकि ऑस्ट्रेलिया को सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा था। भारतीय टीम पूल-ए में दूसरे नंबर पर रहकर क्वार्टर फाइनल में पहुंची थी।