उगाही के केस में मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह और सचिन वझे के खिलाफ 4 दिसंबर को किला कोर्ट में 1895 पेज की चार्जशीट दायर की गई है। इस चार्जशीट में परमबीर सिंह, सचिन वझे और शिकायतकर्ता विमल अग्रवाल व कुछ अन्य लोगों के बीच हुई बातचीत के 69 क्लिप्स हैं। इन क्लिप्स में जिक्र है कि उगाही की इस रकम का 75 प्रतिशत हिस्सा परमबीर सिंह को और 25 प्रतिशत सचिन वाझे को मिला। अदालत में एक विटनेस नारायण मुंदडा ने भी अपने स्टेटमेंट में यही बात दोहराई है।
चार्जशीट में कहा गया है कि परमबीर सिंह, सचिन और अन्य आरोपियों के जरिए क्रिकेट सटोरियों के साथ ही होटल और बार मालिकों से पैसे मांगते थे और पैसे न देने पर उन्हें गिरफ्तार करने तथा उनके प्रतिष्ठानों पर छापे मारने की धमकियां देते थे।
सचिन वझे की उगाही के दो अड्डे थे
चार्जशीट के मुताबिक, सचिन वझे की उगाही के दो अड्डे थे। पहला अड्डा CIU (क्राइम इंटेलीजेंस यूनिट) का ऑफिस था, जिसका इंचार्ज खुद सचिन वझे रहा है और दूसरा अड्डा कांदिवली क्राइम ब्रांच का दफ्तर था। यहां का इंचार्ज सुनील माने थे। माने भी एंटीलिया केस में गिरफ्तार है और उसे भी बर्खास्त कर दिया गया है। NIA के मुताबिक, एंटीलिया केस से जुड़े मनसुख हिरेन को 4 मार्च को तावड़े नाम से माने ने ही फोन किया था। सुनील माने, मनसुख की हत्या में भी सचिन वाझे व कुछ अन्य आरोपियों के साथ जेल में बंद है।
माने ने बुलाई थी सटोरियों की मीटिंग
चार्जशीट में दावा किया गया है कि 31 अगस्त को सचिन वझे ने सुनील माने की कांदिवली क्राइम ब्रांच में मुंबई के सटोरियों की मीटिंग बुलाई थी और वहां उनसे उगाही की रकम मांगी गई थी। सचिन वझे ने CIU (क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट)में मीटिंग बुलाई थी और इसमें मुंबई के बार मालिकों को बुलाया गया था। दोनों जगह कहा गया था, कि यह रकम नंबर वन परमबीर सिंह के कहने पर मांगी जा रही है।
परमबीर और वझे की उगाही के किस्सों की होती थी चर्चा
चार्जशीट के मुताबिक, परमबीर सिंह और सचिन वझे की नजदीकियों को लेकर मुंबई पुलिस में बहुत लोगों को इसकी जानकारी थी। उनकी उगाही के किस्से भी फोर्स में चर्चा का विषय रहते थे। चार्जशीट में लिखा गया कि सचिन वझे सिर्फ API रैक के अधिकारी थे। बावजूद इसके परमबीर सिंह ने उन्हें CIU का चीफ बना दिया। परमबीर ने कई महत्वपूर्ण केस सचिन वझे को दिए। इतने छोटे पद पर होते हुए भी वझे सीधे सिंह से मिलते थे।
सिर्फ वॉट्सऐप कॉल्स रिसीव करते थे वझे
चार्जशीट के मुताबिक, सचिन वझे जब भी किसी को अपना विजिटिंग कार्ड देते थे, तो उसमें एक लाइन जरूर लिखी रहती थी- नो डायरेक्ट कॉल्स, ओनली वॉट्सऐप कॉल्स। जांच एजेंसी के मुताबिक, सचिन वझे को इस बात का पक्का यकीन था कि सामने वाले को यह पता ही नहीं होगा कि वॉट्सऐप कॉल्स रिकॉर्ड हो सकती हैं। मुंबई क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी के अनुसार, जब भी कोई वझे को डायरेक्ट कॉल करता था, वह फौरन कट कर देते थे। वह सिर्फ वॉट्सऐप कॉल्स ही रिसीव करते थे। वझे के तमाम एहतियात के बावजूद वॉट्सऐप कॉल्स रिकॉर्ड हो गई और कोर्ट में पेश भी कर दी गई।
वसूली के इस मामले में दायर हुई है चार्जशीट
जिस केस में चार्जशीट दायर हुई है वह मामला मुंबई के बिजनेसमैन बिमल अग्रवाल की शिकायत से संबंधित है। इस शिकायत के अनुसार आरोपी (सिंह और वझे) ने दो बार और रेस्तरां पर छापेमारी नहीं करने के लिए उससे नौ लाख रुपये की उगाही की और अपने लिए लगभग 2.92 लाख रुपये के दो स्मार्टफोन खरीदने के लिए मजबूर किया। शिकायतकर्ता के अनुसार, वह साझेदारी में इन प्रतिष्ठानों को चलाता था। पुलिस ने पहले बताया था कि यह घटना जनवरी 2020 और मार्च 2021 के बीच हुई। इसके बाद छह आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 384, 385, 34 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
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