भगवान राम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में सभी यथाशक्ति अपना योगदान दे रहे हैं। कोई बड़ी धूपबत्ती चढ़ाकर अपनी भावना प्रकट कर रहा है, तो कोई सबसे बड़ा घंटा भेंट कर अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहा है। गुजरात के सूरत शहर की भाविका माहेश्वरी की उम्र केवल 14 साल है और वे नवीं कक्षा में पढ़ती हैं। लेकिन उन्होंने अपनी पहचान राम कथा वाचिका के रूप में बना ली है। वे मंचों से राम मंदिर निर्माण को भारत के सांस्कृतिक इतिहास का पुनर्जागरण बताते हुए सबसे इस मिशन में बढ़चढ़कर अपना योगदान करने की अपील कर रही हैं। वे गुजरात में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की ब्रांड अंबेसडर भी हैं। भाविका माहेश्वरी ने अमर उजाला को बताया कि अपनी इन्हीं रामकथाओं से उन्होंने राम मंदिर के निर्माण के लिए 52 लाख रुपये की समर्पण निधि एकत्र की थी। उन्होंने गुजरात की लाजपोर जेल में 3150 कैदियों को प्रेरणा देकर जेल से मंदिर निर्माण के लिए एक लाख रुपये की सहयोग राशि प्राप्त की थी। राम मंदिर के निर्माण के समय यह धन राम मंदिर ट्रस्ट को सौंपा जा चुका है। अपने दादा-दादी और नाना-नानी को अपने जीवन का आदर्श समझने वाली भाविका ने बताया कि उन्हें लगता है कि भगवान राम का जीवन दुनिया के लाखों-करोड़ों लोगों को प्रेरणा प्रदान कर सकता है और उन्हें अपना जीवन बदलने के लिए एक सोच प्रदान कर सकता है। इसलिए अपनी राम कथाओं में वे लोगों से अपने जीवन में राम को उतारने की अपील करती हैं। उन्होंने कहा कि मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में भी लोगों को बताने के लिए उन्हें भगवान राम की तरह संघर्ष में निखरे पात्रों की जरूरत होती है। उन्हें लगता है कि भगवान राम का जीवन कष्ट में पड़े लोगों को संघर्ष करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
14 साल की कथा वाचिका मंच से कर रही राम का गुणगान, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की है ब्रांड अंबेसडर
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