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‘140 करोड़ भारतीय हमारे साथ होंगे’, रोहित शर्मा ने जताई चैंपियंस ट्रॉफी में जीत की उम्मीद

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भारतीय कप्तान रोहित शर्मा को उम्मीद है कि चैंपियंस ट्रॉफी में जीतने के बाद जब टीम इंडिया स्वदेश लौटेगी तब 140 करोड़ भारतीय उनका स्वागत करेंगे। रविवार को मुंबई क्रिकेट संघ ने वानखेड़े स्टेडियम के 50 साल पूरे होने पर भव्य समारोह आयोजित किया था। इसमें भारतीय कप्तान रोहित शर्मा, महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर, पूर्व बल्लेबाज सुनील गावस्कर, पूर्व मुख्य कोच रवि शास्त्री और दिग्गज बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे जैसे स्टार खिलाड़ी पहुंचे। इस दौरान हिटमैन ने आगामी चैंपियंस ट्रॉफी पर बात की।
रोहित ने जताई जीत की उम्मीद
इस कार्यक्रम में रोहित ने कहा कि टी20 विश्व कप 2024 का खिताब जीतने के बाद उमड़े प्रशंसकों के हुजूम को देखने के बाद उन्हें टी20 विश्व कप की व्यापकता का एहसास हुआ था। अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुके भारतीय कप्तान 19 फरवरी से पाकिस्तान और दुबई में आयोजित होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी को जीत कर एक बार फिर से प्रशंसकों को ऐसा एहसास देना चाहते हैं। भारत इससे पहले 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब जीता था। रोहित से पूछा गया कि किस समय उन्हें वास्तव में एहसास हुआ कि भारत ने विश्व कप जीत लिया है? इस पर उन्होंने कहा, ‘जब मैं यहां जश्न मनाने के बाद अगले दिन उठा, तब हमें एहसास हुआ। उस जश्न के बाद अगले दिन जब मैं सो कर उठा था तब मुझे एहसास हुआ था कि हमने जो किया वह बहुत, बहुत खास था।’ भारतीय कप्तान ने कहा, ‘विश्व कप जीतना एक बात है और अपने लोगों के साथ उसका जश्न मनाना अलग बात है। आप जीत का जश्न टीम के साथी खिलाड़ियों के साथ मनाते ही है लेकिन लोगों के साथ इस जश्न के साझा करने के एहसास बारे में मुझे मुंबई आने के बाद पता चला।’ रोहित ने कहा कि भारतीय टीम जल्द ही चैंपियंस ट्रॉफी अभियान शुरू करेगी और यहां के प्रतिष्ठित स्टेडियम में एक और ट्रॉफी लाने की कोशिश करेगी। उन्होंने कहा, ‘हम एक और टूर्नामेंट शुरू करेंगे। मुझे यकीन है कि जब हम दुबई पहुंचेंगे तो 140 करोड़ लोगों की शुभकामनाएं हमारे पीछे होंगी। हम यह जानते हैं। हम इस ट्रॉफी (आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी) को वानखेड़े में वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।’
वानखेड़े की यादों में खोए गावस्कर
महान सुनील गावस्कर ने कहा कि जब भी वह स्टेडियम जाते हैं तो उन्हें घरेलू मैदान पर आने का एहसास होता है। उन्होंने कहा, ‘जब 1974 में वानखेड़े स्टेडियम बनाया गया था, तो हमारा ड्रेसिंग रूम नीचे था। जब हमने अभ्यास सत्र के लिए पहली बार मैदान में कदम रखा तभी इससे प्यार हो गया था। इससे पहले हम ब्रेबॉर्न स्टेडियम में खेलते थे। वह एक क्लब (क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया) का मैदान था। लेकिन यहां आकर ऐसा लगा जैसे यह मुंबई क्रिकेट का घरेलू मैदान है। जब भी मैं कमेंट्री के लिए आता हूं तो मुझे वही अहसास होता है। मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया है।’ सचिन तेंदुलकर ने कहा कि उन्हें 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना आखिरी टेस्ट खेलते समय भी ऐसी ही भावनाओं का अनुभव हुआ था। उन्होंने कहा, ‘जब वेस्टइंडीज के खिलाफ श्रृंखला के कार्यक्रम की घोषणा की गई, तो मैंने  एन श्रीनिवासन (तत्कालीन बीसीसीआई अध्यक्ष) को फोन किया और अनुरोध किया कि क्या सीरीज का दूसरा और आखिरी मैच वानखेड़े में खेला जा सकता है क्योंकि मैं चाहता हूं कि मेरी मां मुझे अपना आखिरी मैच खेलते हुए देखें। मेरी मां ने उससे पहले कभी भी स्टेडियम आकर मुझे खेलते हुए नहीं देखा था। उस समय उनका स्वास्थ्य ऐसा था कि वह वानखेड़े को छोड़कर किसी अन्य स्थान पर नहीं जा सकती थी। बीसीसीआई ने बहुत शालीनता से उस अनुरोध को स्वीकार कर लिया और मेरी मां और पूरा परिवार उस दिन वानखेड़े में थे। आज जब मैंने वानखेड़े में कदम रखा, तो मैं उन्हीं भावनाओं का अनुभव कर रहा हूं।’