शारदीय नवरात्र आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि गुरुवार से शारदीय नवरात्र शुरू हो गए हैं। हिमाचल के शक्तिपीठों सहित अन्य माता के अन्य मंदिरों में गुरुवार सुबह से ही श्रद्धालु बड़ी संख्या में दर्शन करने पहुंचे। मंदिरों को फूलों से भव्य तरीके से सजाया गया है। ज्वालाजी, बज्रेश्वरी, चामुंडा, नयनादेवी और चिंतपूर्णी मंदिर में सुरक्षा के विशेष प्रबंध किए गए हैं। प्रदेश के अन्य मंदिरों के भी तड़के 4 और 5 बजे से कपाट खोले गए। मां ज्वाला की ज्योतियों के लाइव दर्शन शहर और मंदिर में लगी एलईडी पर लगातार होता रहेगा। श्रीनयनादेवी की पांच पहर की आरती होगी। माता चिंतपूर्णी जी के कपाट 24 घंटे खुले रहेंगे, ताकि आने वाले श्रद्धालुओं को व्यवस्थित तरीके से दर्शन हों। आधी रात कुछ देर के लिए मंदिर की साफ-सफाई के दौरान दर्शन नहीं होंगे। कांगड़ा की तीनों शक्तिपीठों को रंग-बिरंगे फूलों और लाइटों से सजाया गया है। नवरात्र में मंदिर के गर्भ गृह में नारियल ले जाने पर प्रतिबंध रहेगा। श्रीनयनादेवी की सुबह मंगल आरती, प्रातकालीन श्रृंगार आरती, मध्याह्न आरती, सायंकालीन आरती और शयन आरती की जाएगी। मंगल आरती में मेवे का भोग, शृंगार आरती में हलवा एवं बर्फी का प्रसाद, मध्याह्न आरती में राजसी भोग लगाया जाएगा। नवरात्र के लिए राजधानी के देवी मंदिर फूलों और रंग-बिरंगी लाइटों से सजाए गए हैं। मंदिरों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए सुबह छह से रात 10:00 बजे तक खुले रहेंगे। राजधानी के तारादेवी, कालीबाड़ी और ढिंगू माता मंदिर संजौली में नौ दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होगी। पहले दिन मां भगवती के शैलपुत्री रूप की पूजा होगी। नवरात्र में तारादेवी मंदिर के कपाट सुबह 4:30 बजे खोले गए। मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित कमलेश चंद्रा की अध्यक्षता में पंडित अनिल कुमार, पंडित मोहन दत्त, सुरेंद्र शास्त्री, इंद्र शास्त्री, संजय, विनोद नौ दिन अखंड चंडी पाठ करेंगे। मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए 20 से 25 पुलिस जवान और 10 होमगार्ड के जवान तैनात रहेंगे। नवरात्र पर नौ दिन मंदिर में भंडारा लगाया जाएगा।
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