लगभग 28 साल पहले एक व्यवसायी की हत्या के मामले में मुंबई की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को गैंगस्टर एजाज लकड़ावाला को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। मामले में सह-आरोपी जेल में बंद गैंगस्टर राजेंद्र निकालजे उर्फ छोटा राजन को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। विशेष न्यायाधीश एएम पाटिल ने भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम के पूर्व सहयोगी लकड़ावाला को हत्या के लिए आईपीसी एवं शस्त्र अधिनियम के तहत दोषी ठहराया। एफआईआर के अनुसार, 7 अक्तूबर, 1996 को दो अज्ञात लोग मोहम्मद अली रोड पर दुकान के अंदर व्यवसायी सैय्यद फरीद मकबुल हुसैन को गोली मारकर मौके से भाग गए थे। हुसैन को नजदीकी अस्पताल ले जाया गया जहां उसने दम तोड़ दिया। शुरुआत में हत्या की जांच मुंबई पुलिस ने की थी और लकड़ावाला के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। इसके अलावा राजन को एक वांछित आरोपी के रूप में दिखाया गया था। बाद में मामले को सीबीआई के सौंप दिया गया था। लकड़ावाला ने अपना बचाव करते हुए अदालत में कहा था कि यह साबित करने के लिए कोई चश्मदीद गवाह नहीं है कि उसने ही फरीद की हत्या की थी। उसका कहना था कि उसे झूठा फंसाया गया, जबकि उसका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। लकड़ावाला फरार था, उसे 2020 में फिर से गिरफ्तार किया गया था। उसके खिलाफ भी अन्य मामले लंबित थे।
छोटा राजन मामले में सभी आरोपों से मुक्त
सीबीआई ने दावा किया था कि छोटा राजन हत्या की साजिश में शामिल था। राजन ने अपने बचाव में कहा था कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि वह हत्या से जुड़ा था। अदालत ने उसे मामले में सभी आरोपों से मुक्त कर दिया। हालांकि, छोटा राजन पत्रकार जे डे की हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।