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सरकार बुनियादी ढांचे, पीएलआई और कृषि के लिए नए उपायों की कर सकती है घोषणा, एसबीआई ने दिए ये सुझाव

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केंद्र सरकार बजट 2025 में बुनियादी ढांचे, कृषि, एमएसएमई और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए नए उपायों की घोषणा कर सकती है। भारतीय स्टेट बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में यह बात कही है। एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन उपायों में पैसा जुटाने के वैकल्पिक स्रोत, उत्पादन को लक्ष्य कर बनाई गई प्रोत्साहन योजनाएं (पीएलआई) और भारत की हरित अर्थव्यवस्था व आपदा प्रबंधन को मजबूत करने से जुड़ी रणनीतियां शामिल हैं।

बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के वित्तपोषण को कम करने पर रहेगा जोर

रिपोर्ट के अनुसार सरकार बजट में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए एक वैकल्पिक उपाय का ढांचा पेश कर सकती है। इससे वित्तपोषण का लागत कम हो सकता है और बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा मिल सकता है। रिपोर्ट में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों (CGFTAAS) के लिए एक सर्वव्यापी ऋण गारंटी निधि ट्रस्ट के निर्माण का सुझाव दिया गया है। इससे कृषि मूल्य शृंखला वित्तपोषण (AVCF) सहित नए कृषि ऋणों के लिए कवरेज सुनिश्चित किया जा सकेगा।  इसने क्षेत्र की दक्षता में सुधार के लिए कृषि मूल्य शृंखला पर 2021 की रिपोर्ट को लागू करने की भी सिफारिश की गई है। एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, आवास क्षेत्र में प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (PSL) की परिभाषा में बदलाव दिख सकता है। छह मेट्रो शहरों में 65 लाख रुपये और अन्य क्षेत्रों में 50 लाख रुपये की लागत वाली परियोजनाएं अब पीएसएल के तहत लोगों को किफायती आवास उपलब्ध कराने के काम आ सकती हैं, जो 2018 के मानदंडों में संशोधन है। एमएसएमई सेक्टर के बारे में बात करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि कपड़ा, परिधान, हस्तशिल्प, खाद्य प्रसंस्करण, चमड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो घटकों जैसे प्रमुख क्षेत्रों के लिए भी पीएलआई शुरू की जानी चाहिए। रिपोर्ट में माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइजेज (CGTMSE) के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट को आवंटन बढ़ाने और एमएसएमई ऋण कवरेज का विस्तार करने के लिए बैंकों को प्रोत्साहित करने का भी सुझाव दिया गया है।

प्राकृतिक आपदाओं के जोखिम प्रबंधन के लिए बने एक इकाई

बजट में सरकार भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं के लिए धन जुटाने के उद्देश्य से एक ग्रीन टैक्सोनॉमी की शुरुआत पर भी ध्यान केंद्रित कर सकता है। इसके अलावे, रिपोर्ट में प्राकृतिक आपदाओं के जोखिम प्रबंधन के लिए एक आपदा पूल की स्थापना का भी प्रस्ताव है। मौजूदा परमाणु और आतंकवाद पूल की तर्ज पर, बना ऐसा पुल  सार्वजनिक-निजी बीमा पहल से आपदाओं से होने वाले वित्तीय नुकसान को कम करने में मदद कर सकता है। शिक्षा क्षेत्र में वैश्विक संस्थानों के साथ सहयोग और भारतीय संस्थानों के लिए विदेशी केंद्रों की स्थापना के माध्यम से सुधार देखने को मिल सकता है। इससे अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित किया जा सकेगा। यह कदम भारत के ज्ञान-संचालित अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य की ओर बढ़ने में मददगार होगा। रिपोर्ट के अनुसार, इन सिफारिशों का उद्देश्य प्रमुख क्षेत्रों में आर्थिक विकास, लचीलापन और स्थिरता को बढ़ावा देना है।