22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के बाद बालकराम ने शनिवार को पहली बार दोपहर में विश्राम किया। भक्तों की अगाध आस्था को देखते हुए वह भी तपस्या कर रहे थे और रोजाना लगातार भक्तों को 15 घंटे दर्शन दे रहे थे। मंदिर में रामलला चूंकि पांच वर्षीय बालक के रूप में विराजमान हैं, इसलिए उन्हें अब दोपहर में विश्राम देने की व्यवस्था शनिवार से शुरू की गई। दोपहर 12 बजे की आरती के बाद मंदिर का पट बंद कर दिया गया। पट एक बजे खुला। इस बीच भक्तों को रामलला के दर्शन नहीं हुए। 23 जनवरी को जब से राममंदिर भक्तों के लिए खुला, तब से मंदिर में भक्तों की कतार टूटने का नाम ही नहीं ले रही है। अस्थायी मंदिर में रामलला का दर्शन दो पालियों में होता था। सुबह सात से 11:30 व दोपहर दो से सात बजे तक ही दर्शन होते थे। नए मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद जब 23 जनवरी को पहली बार मंदिर भक्तों के लिए खुला तो आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। भारी भीड़ के चलते व्यवस्थाएं ध्वस्त हो गईं थीं। पहले ही दिन चार लाख से अधिक भक्तों ने रामलला के दर्शन किए। 23 जनवरी को मंदिर पूर्व के समय सुबह सात बजे खुला लेकिन भीड़ इतनी ज्यादा उमड़ी कि रात दस बजे तक मंदिर खोलना पड़ा। इसके बाद से ही लगातार सुबह 6:30 से रात दस बजे तक मंदिर में दर्शन होते रहे। रोजाना डेढ़ से दो लाख भक्त दर्शन को पहुंच रहे हैं, जिसके चलते रामलला को दोपहर में विश्राम भी नहीं कराया जा रहा था।
रामलला को आराम देने की उठी थी मांग