महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति को शानदार जीत मिली। हालांकि परिणाम सामने आने के एक सप्ताह से अधिक समय बाद भी अब तक राज्य का मुख्यमंत्री कौन होगा यह तय नहीं हो पाया है। चर्चा है कि राज्य में नई सरकार का गठन पांच दिसंबर को होने वाला है, लेकिन सीएम के नाम का ही अता-पता नहीं है। मगर, अब यह लगभग तय है कि सीएम पद भाजपा के हिस्से आने वाला है, लेकिन नाम पर सस्पेंस बरकरार है। वहीं, विपक्ष लगातार इस को लेकर कटाक्ष कर रहा है। उसका कहना है कि महाराष्ट्र में चूहे बिल्ली का खेल चल रहा है। महाराष्ट्र में 20 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के गठबंधन महायुति ने 288 में से 230 सीट जीतकर सत्ता बरकरार रखी। भाजपा 132 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी जबकि शिवसेना ने 57 और एनसीपी ने 41 सीट जीतीं। हालांकि, 23 नवंबर को चुनाव नतीजों की घोषणा के बाद भी इस बात पर कोई फैसला नहीं हुआ है कि मुख्यमंत्री कौन होगा। महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम पर झामुमो नेता मनोज पांडे ने कहा, ‘यह समझ से परे है कि खुद को सबसे बड़ी पार्टी बताने वाली पार्टी एक नेता का चुनाव नहीं कर पा रही है? किसे मुख्यमंत्री बनाएंगे ये पता ही नहीं है। यह उनकी संगठनात्मक कमजोरी है। वर्तमान मुख्यमंत्री आए दिन गायब हो जाते हैं। वहां(महाराष्ट्र) चूहे बिल्ली का खेल चल रहा है। वे (महायुति) नेतृत्व विहीन हैं।’
यह सब दिल्ली का खेल: संजय राउत
महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम पर शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कहा, ‘एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री हैं। एक मुख्यमंत्री कैसे गायब हो सकता है? महाराष्ट्र में खेल चल रहा है। 10 दिन हो चुके हैं। उनके (महायुति) पास भारी बहुमत है लेकिन उसके बाद भी वे लोग मुख्यमंत्री का नाम अब तक घोषित नहीं कर पा रहे हैं। अब तक राजभवन में सरकार बनाने का दावा नहीं किया गया है। यह सब दिल्ली का खेल है। महाराष्ट्र में जो ‘मरखट लीला’ चल रही है वो दिल्ली से चलाई जा रही है।’ कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा, ‘हम एक बात समझ सकते हैं- अगर सरकार पूर्ण बहुमत के साथ नहीं होती है, तो संख्या लानी होगी। लेकिन यहां उन्होंने दो तिहाई से अधिक बहुमत दर्ज किया। फिर वे किस पर काम कर रहे हैं? जिस व्यक्ति ने बालासाहेब ठाकरे द्वारा बनाई गई पार्टी को धोखा दिया, जिसने उसे तोड़ दिया, वह सीएम बनने के लिए बेताब है। देखते हैं कौन सीएम बनता है। अगर सभी की सहमति होती तो इतना समय क्यों लगता।’